क्‍या वक्‍फ बोर्ड कानून में संशोधन सही हैं?

क्‍या वक्‍फ बोर्ड कानून में संशोधन सही हैं?

वक्फ बोर्ड कानून में प्रस्तावित संशोधनों की सहीता या गलती को लेकर कोई एकमत जवाब देना मुश्किल है, क्योंकि यह एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है जो कानूनी, सामाजिक, और धार्मिक पहलुओं से जुड़ा है। इस पर अलग-अलग पक्षों के अपने तर्क हैं। आइए इसे निष्पक्ष तरीके से समझने की कोशिश करें।

संशोधन के पक्ष में तर्क

1. पारदर्शिता और जवाबदेही

सरकार का कहना है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का मकसद वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना और कुप्रबंधन को रोकना है। मौजूदा कानून में वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने की व्यापक शक्ति मिली हुई है, जिसके दुरुपयोग की शिकायतें रही हैं। संशोधन में सत्यापन अनिवार्य करने का प्रस्ताव है।

2. महिला और गैर-मुस्लिम प्रतिनिधित्व

बोर्ड में महिलाओं और गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का तर्क है कि इससे विविधता और निष्पक्षता बढ़ेगी। सरकार का दावा है कि यह मुस्लिम समुदाय के कमजोर वर्गों की मांग को पूरा करता है।

3. संपत्ति विवादों पर अंकुश

वक्फ बोर्ड द्वारा सरकारी और निजी संपत्तियों पर दावे के कई मामले सामने आए हैं। संशोधन में जिला कलेक्टर को यह तय करने का अधिकार देने का प्रस्ताव है कि कोई संपत्ति वक्फ की है या नहीं, जिससे विवाद कम हो सकते हैं।

4. आधुनिकीकरण

डिजिटलीकरण और ऑडिट सिस्टम को मजबूत करने से संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और आय का सही उपयोग संभव हो सकता है।

संशोधन के खिलाफ तर्क

1. धार्मिक स्वायत्तता पर सवाल

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कई मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक समुदायों को अपने मामलों के प्रबंधन का अधिकार देता है। गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति को धार्मिक स्वायत्तता में दखल माना जा रहा है।

2. संपत्ति हड़पने की आशंका

विपक्ष और कुछ संगठन इसे वक्फ संपत्तियों को कमजोर करने या सरकारी नियंत्रण में लेने की साजिश मानते हैं। ‘वक्फ बाय यूजर‘ जैसे प्रावधान हटाने से मस्जिदों, कब्रिस्तानों आदि पर खतरा मंडरा सकता है।

3. समुदाय का विरोध

कई मुस्लिम नेताओं और संगठनों का मानना है कि यह बिल समुदाय की भावनाओं के खिलाफ है और इसे बिना व्यापक सहमति के थोपा जा रहा है।

4. जटिलता बढ़ने की आशंका

कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि नए प्रावधान मौजूदा व्यवस्था को और उलझा सकते हैं, खासकर संपत्ति सत्यापन और कानूनी प्रक्रियाओं के मामले में।

लालू प्रसाद का पुराना बयान

लालू प्रसाद यादव ने 2010 में वक्फ बोर्ड की अनियमितताओं पर सख्त कानून की मांग की थी। उनका कहना था कि वक्फ ने सरकारी और निजी जमीनों को हड़प लिया है और इसके लिए कड़ा नियंत्रण जरूरी है। मौजूदा संशोधन को सरकार इसी दिशा में एक कदम बता रही है।

संशोधन सही हैं या गलत, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे किस नजरिए से देखते हैं। अगर मकसद पारदर्शिता और सुधार है, तो यह सही दिशा में कदम हो सकता है। लेकिन अगर यह धार्मिक स्वायत्तता को कमजोर करता है या समुदाय की सहमति के बिना लागू होता है, तो यह विवादास्पद हो सकता है। अंततः, इसका प्रभाव लागू होने के बाद ही स्पष्ट होगा। आपका क्या विचार है?

Subhash Shekhar

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