झारखंड की उभरती मॉडल और फेमिना मिस इंडिया झारखंड 2024 की फाइनलिस्ट प्रियांशु चौधरी ने हाल ही में राज्य सरकार और फिल्म इंडस्ट्री के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने सवाल उठाया कि क्यों झारखंड में कलाकारों और मॉडल्स को उनका हक नहीं दिया जाता? कैमरे के सामने काम करने वाले भी उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं जितना कैमरे के पीछे काम करने वाले, लेकिन उनके साथ भेदभाव किया जाता है।
मॉडल्स और कलाकारों को क्यों नहीं मिलती सही पहचान?
प्रियांशु चौधरी ने कहा कि झारखंड में मॉडल्स और कलाकारों को बिना भुगतान के काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। उन्हें यह कहकर बहलाया जाता है कि उन्हें “एक्सपोजर” मिलेगा, लेकिन मेहनत का सही मूल्य नहीं दिया जाता। यह समस्या सिर्फ मॉडलिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि झारखंड की पूरी फिल्म इंडस्ट्री इसी शोषण से जूझ रही है।
उन्होंने साफ कहा कि कलाकारों को प्रमोशन के नाम पर मुफ्त में काम करने के लिए बाध्य किया जाता है। उन्होंने सवाल किया कि क्या झारखंड सरकार को इस स्थिति को सुधारने की कोई चिंता नहीं है?
झारखंड की फिल्म इंडस्ट्री: एक सपना या हकीकत?
झारखंड में फिल्म इंडस्ट्री को लेकर कई बड़े आयोजन होते रहे हैं। यहां इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल भी लगातार आयोजित किया जा रहा है, जिसका यह छठा वर्ष है। इस फेस्टिवल के आयोजक ऋषि प्रकाश मिश्रा, जो खुद झारखंड सरकार के फिल्म बोर्ड के सदस्य रह चुके हैं, ने बताया कि उनका उद्देश्य झारखंड की कला और संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना है।
हालांकि, सवाल यह उठता है कि जब झारखंड में फिल्म इंडस्ट्री को इतना बढ़ावा दिया जा रहा है, तो कलाकारों और तकनीशियनों को उनका हक क्यों नहीं मिल पा रहा है? क्यों मॉडल्स और एक्टर्स को “एक्सपोजर” के नाम पर मुफ्त में काम करने को मजबूर किया जाता है?
समाधान क्या हो सकता है?
- सरकार को सख्त नियम लागू करने चाहिए – मॉडल्स और कलाकारों के लिए न्यूनतम भुगतान अनिवार्य किया जाए।
- मॉडल्स और कलाकारों को एक मंच मिलना चाहिए – ताकि वे अपनी समस्याओं को रख सकें और उनके अधिकारों की रक्षा हो।
- झारखंड फिल्म इंडस्ट्री को संगठित किया जाए – ताकि यहां की प्रतिभाओं को सही अवसर मिल सके।
- सोशल मीडिया का सही उपयोग किया जाए – प्रियांशु चौधरी का मानना है कि सोशल मीडिया एक बड़ा प्लेटफॉर्म है, जिससे कलाकार अपनी आवाज उठा सकते हैं।
झारखंड में मॉडलिंग और फिल्म इंडस्ट्री अभी भी संघर्ष कर रही है। राज्य में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। सरकार और इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि झारखंड की कला और कलाकारों को उनका सही स्थान मिल सके।