बोकारो स्टील लिमिटेड (BSL) बिल्डिंग के बाहर अपने अधिकारों की मांग कर रहे विस्थापित अप्रेंटिस छात्रों पर CISF द्वारा किए गए लाठीचार्ज में एक आंदोलनकारी, प्रेम महतो, की मौत हो गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना झारखंड के विस्थापित समुदाय के लिए एक बड़ी त्रासदी बनकर उभरी है।
जयराम महतो का कड़ा रुख
घटना की जानकारी मिलते ही डुमरी के विधायक जयराम महतो मौके पर पहुंचे और उन्होंने आक्रोशित भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि सिर्फ नारेबाजी करने से कुछ नहीं होगा। उन्होंने लोगों से संगठित होकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने की अपील की।
महतो ने प्रशासन और सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि विस्थापितों को नियोजन देने के वादे किए जाते हैं, लेकिन जब वे अपना हक मांगने आते हैं, तो उन पर लाठियां बरसाई जाती हैं। उन्होंने इसे “ओपन किलिंग” करार दिया और कहा कि यह झारखंड के इतिहास में पहली बार नहीं हो रहा है, बल्कि विस्थापन का दर्द दशकों से जारी है।
लाठीचार्ज का वीभत्स रूप
जयराम महतो ने प्रशासन की क्रूरता पर सवाल उठाते हुए कहा कि लाठीचार्ज का उद्देश्य भीड़ को नियंत्रित करना होता है, लेकिन यहां निर्दोष छात्रों पर बेरहमी से हमला किया गया। उन्होंने बताया कि पुलिस ने लाठीचार्ज के दौरान छात्रों के सिर और सीने पर वार किया, जिससे यह साफ है कि प्रशासन ने उन्हें आतंकवादी समझकर हमला किया।
उन्होंने कहा, “लाठीचार्ज पैरों पर किया जाता है, न कि सिर पर! प्रशासन की यह बर्बरता पूरी तरह से अस्वीकार्य है।”
“देशभक्ति” पर सवाल
विधायक ने पुलिस और अर्धसैनिक बलों की भूमिका पर कटाक्ष करते हुए कहा कि देशभक्ति केवल वर्दी पहनने से नहीं आती, बल्कि जनता के साथ खड़े होने से आती है। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर इन सुरक्षाबलों को वेतन और सुविधाएं बंद कर दी जाएं, तो इनमें से 90% लोग नौकरी छोड़ देंगे।
“सरकार को कठोर कार्रवाई करनी होगी”
जयराम महतो ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस घटना में शामिल सभी दोषियों को निलंबित किया जाए और घायल छात्रों को उचित मुआवजा दिया जाए। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों को अनसुना किया गया, तो वे सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करेंगे।
उन्होंने विस्थापित समुदाय से अपील की कि वे संगठित होकर सरकार और प्रशासन की नीतियों का खुलकर विरोध करें और अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें।
अप्रेंटिस छात्रों की मांग
गौरतलब है कि ये अप्रेंटिस छात्र प्रबंधन द्वारा किए गए वादों को पूरा करवाने के लिए धरने पर बैठे थे। उनका कहना था कि उन्हें नियोजन देने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब सरकार और कंपनी अपने वादों से पीछे हट रही हैं।
आगे की रणनीति
इस घटना के बाद झारखंड में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और सरकार से जवाब मांगा है। वहीं, विस्थापित समुदाय ने चेतावनी दी है कि अगर न्याय नहीं मिला, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे।
क्या सरकार इस घटना की निष्पक्ष जांच कराएगी? क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी? ये सवाल अब झारखंड की जनता और विस्थापित समुदाय के सामने हैं।