Ranchi: कुड़मी (महतो) समाज का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार, 27 फरवरी 2025 को झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने की मांग को प्रमुखता से रखा। इस दौरान पेसा कानून के तहत जनसंख्या के आधार पर अनुसूचित क्षेत्रों के पुनर्गठन और जमशेदपुर की कुछ समस्याओं पर भी सकारात्मक चर्चा हुई।
प्रतिनिधिमंडल में झारखंड, बंगाल और ओडिशा के कुड़मी समन्वय समिति के संयोजक लालचन महतो, कुड़मी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष शैलेंद्र महतो (जमशेदपुर), समाज के नेता धनंजय कुमार सिन्हा और जमशेदपुर के दो अन्य प्रमुख साथी शामिल थे।
एसटी सूची में शामिल करने की पुरजोर मांग
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल के समक्ष अपनी ऐतिहासिक और सामाजिक पृष्ठभूमि को रखते हुए तर्क दिया कि कुड़मी समाज आदिवासी मूल का है और उसे अनुसूचित जनजाति की सूची में स्थान मिलना चाहिए। समाज लंबे समय से इस मांग को लेकर आंदोलनरत है, लेकिन अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि केंद्र और राज्य सरकार को इस मुद्दे पर त्वरित निर्णय लेना चाहिए, ताकि कुड़मी समाज को उनका संवैधानिक अधिकार मिल सके।
पेसा कानून के तहत पुनर्गठन की मांग
प्रतिनिधिमंडल ने पेसा कानून को संविधान सम्मत तरीके से लागू करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि आदिवासी बहुल क्षेत्रों का पुनर्गठन उनकी जनसंख्या के आधार पर किया जाना चाहिए, जिससे स्थानीय निवासियों को उनके अधिकारों का पूरा लाभ मिल सके।
इसके अलावा, जमशेदपुर की कुछ प्रमुख समस्याओं को लेकर भी चर्चा हुई। प्रतिनिधिमंडल ने शांति और सौहार्दपूर्ण वातावरण में इन मुद्दों के समाधान की अपील की।
समाज के लिए बड़ा कदम
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से आग्रह किया कि उनकी मांगों को जल्द से जल्द राज्य और केंद्र सरकार तक पहुंचाया जाए। इस मुलाकात को कुड़मी समाज के हित में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे भविष्य में समाज को न्याय मिल सके।
इस बैठक के बाद समाज के नेताओं ने आशा जताई कि सरकार जल्द ही उनकी मांगों पर ठोस निर्णय लेगी और कुड़मी समाज को उसका संवैधानिक हक मिलेगा।