शराब घोटाले में फंसे आईएएस विनय चौबे की संपत्ति पर एसीबी की नजर

शराब घोटाले में फंसे आईएएस विनय चौबे की संपत्ति पर एसीबी की नजर

disproportionate assets investigation के तहत आय से अधिक संपत्ति की जांच शुरू

रांची: झारखंड के बहुचर्चित शराब घोटाले में निलंबित आईएएस अधिकारी विनय चौबे की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। अब उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की जांच शुरू कर दी गई है। एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) ने मंत्रिमंडल निगरानी विभाग के निर्देश पर यह कदम उठाया है।

सूत्रों के मुताबिक, सिर्फ विनय चौबे ही नहीं, बल्कि इस मामले में आरोपी अन्य अधिकारियों पर भी एसीबी की पैनी नजर है। जांच में इन अधिकारियों की वैध आय और संपत्ति की तुलना की जाएगी। यदि जांच में पुष्टि होती है कि उन्होंने अपनी वैध आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है, तो उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज होगा।

शेल कंपनियों और रिश्तेदारों तक फैली जांच

एसीबी ने विनय चौबे के अलावा उनके करीबी लोगों और रिश्तेदारों की संपत्ति की भी पड़ताल शुरू कर दी है। जांच में यह बात सामने आई है कि चौबे ने कथित रूप से शेल कंपनियों के जरिये काले धन का निवेश किया है। हालांकि, इस संबंध में जांच अभी शुरुआती चरण में है और सत्यापन की प्रक्रिया जारी है।

20 और 21 मई को विनय चौबे समेत पांच लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। इनमें उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह, वित्त विभाग के दो पूर्व अधिकारी सुधीर कुमार दास और सुधीर कुमार, और प्लेसमेंट एजेंसी मार्शन के स्थानीय प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह शामिल हैं। इन सभी को फिलहाल न्यायिक हिरासत में रखा गया है।

जांच का तरीका और आगे की प्रक्रिया

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो एक “चेक पीरियड” के आधार पर जांच करेगा। इस अवधि में इन अधिकारियों की कुल वैध आय और खर्च की जानकारी एकत्र की जाएगी। इसके साथ ही उनकी अर्जित संपत्तियों का भी मूल्यांकन होगा। यदि यह पाया जाता है कि अधिकारियों की संपत्ति उनकी आय से कहीं अधिक है, तो उन्हें आय से अधिक संपत्ति के कानून के तहत अभियुक्त बनाया जाएगा।

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एसीबी किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले ठोस साक्ष्य जुटा रही है। यही वजह है कि शेल कंपनियों की भूमिका और अन्य संपत्ति के स्रोतों की भी बारीकी से जांच की जा रही है।

झारखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही यह कार्रवाई राज्य प्रशासन के लिए एक कड़ा संदेश है। अगर जांच में आरोपियों की संपत्ति अवैध पाई जाती है, तो यह न केवल एक बड़ा कानूनी मोड़ होगा, बल्कि राज्य की ब्यूरोक्रेसी में भी हलचल मचा देगा। अब देखना यह है कि एसीबी की यह जांच किस दिशा में जाती है और आखिरकार कौन-कौन इस कानूनी शिकंजे में फंसता है।

Subhash Shekhar

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