Ranchi: झारखंड के कोयलांचल क्षेत्रों में जल्द ही बड़ा आंदोलन देखने को मिल सकता है। आजसू पार्टी के प्रमुख सुदेश महतो ने बोकारो और आसपास के रैयतों के अधिकारों के लिए एक बड़े आंदोलन की योजना बनाई है। हाल ही में हुई विवादास्पद घटनाओं ने इन इलाकों के निवासियों को गहरी चिंता में डाल दिया है।
क्या है विवाद का केंद्र?
पलामू माइनिंग क्षेत्र में रैयतों के विस्थापन और अपराधिक चरित्रों के टकराव ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है। इस घटना में एक सांसद कार्यालय में आगजनी भी शामिल है। इसे लेकर सुदेश महतो ने अपनी पार्टी की एक जांच समिति गठित की थी। इस समिति में विधायक, पूर्व विधायक, बार एसोसिएशन के पदाधिकारी, पूर्व जिला न्यायाधीश, और प्रशासनिक अनुभव वाले पूर्व डीआईजी जैसे विशेषज्ञ शामिल हैं।
रैयतों का दर्द और पलायन
जांच टीम की रिपोर्ट के अनुसार, इलाके के लोग डरे और सहमे हुए हैं। कुछ ने साहस दिखाकर अपनी समस्याएं साझा कीं, लेकिन अधिकांश ने पलायन कर लिया। जिन लोगों ने यह घटना अंजाम दी, उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई कर रही है। हालांकि, सुदेश महतो का कहना है कि प्रशासन को सिर्फ दोषियों को सजा देने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि रैयतों के साथ हुए अन्याय का भी समाधान करना चाहिए।
अवैध खनन और प्रशासनिक चूक
सुदेश महतो ने कहा कि बीसीसीएल और सीसीएल जैसी कंपनियां सरकारी नियमों की अनदेखी करते हुए खनन क्षमता बढ़ाने में जुटी हैं। अवैध माइनिंग के मामलों में प्रशासन की मिलीभगत की भी खबरें सामने आई हैं। महतो ने प्रशासन की धीमी गति और रैयतों के अधिकारों की अनदेखी पर सवाल उठाया है।
प्राकृतिक संसाधन: वरदान या अभिशाप?
महतो ने जोर देकर कहा कि झारखंड की प्राकृतिक संपदा वरदान है, लेकिन इसका सही इस्तेमाल नहीं हो पा रहा। खनन से क्षेत्र के गरीबों की ज़िंदगी में सुधार होना चाहिए था, लेकिन इसका लाभ कुछ मसल पावर रखने वाले लोगों तक सीमित है। उन्होंने खनन क्षेत्रों का गहराई से अध्ययन करने और डाटा तैयार करने की घोषणा की है, ताकि वास्तविकता को उजागर किया जा सके।
भविष्य की रणनीति
सुदेश महतो ने साफ किया कि उनकी पार्टी रैयतों के अधिकारों के लिए अंत तक लड़ाई लड़ेगी। उन्होंने कहा कि खनन का काम तब तक शुरू नहीं होना चाहिए जब तक रैयतों को उनकी ज़मीन के बदले पूरी सुविधाएं और मुआवजा नहीं दिया जाता। उनकी मांग है कि प्रशासन पारदर्शिता बनाए रखे और यह सुनिश्चित करे कि प्रभावित लोगों को उनकी ज़मीन का सही हक मिले।
सुदेश महतो के नेतृत्व में प्रस्तावित यह आंदोलन न केवल झारखंड के कोयलांचल क्षेत्र के रैयतों की आवाज़ को बुलंद करेगा, बल्कि राज्य में खनन नीति और रैयतों के अधिकारों पर एक नई बहस को जन्म देगा। उन्होंने आंदोलन के जरिए यह संदेश देने का प्रयास किया है कि हर व्यक्ति को न्याय मिलना चाहिए, चाहे वह कितना भी कमजोर क्यों न हो।