Ranchi: झारखंड की राजधानी रांची में आज टुसू महोत्सव पूरे उत्साह और परंपरा के साथ मनाया गया। झारखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता, पर्वत, नदी, झरने और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के लोग प्रकृति के पूजक हैं, और टुसू पर्व इसका प्रमुख उदाहरण है। यह पर्व झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है।
मेन रोड में टुसू महोत्सव का भव्य नजारा
रांची के मेन रोड स्थित अल्बर्ट एक्का चौक पर इस बार टुसू महोत्सव बड़े पैमाने पर आयोजित हुआ। आयोजन में श्यामा प्रसाद विश्वविद्यालय, रांची विश्वविद्यालय और रांची विमेंस कॉलेज की छात्राओं और शिक्षिकाओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान देवेंद्र नाथ महतो ने पुरखेनी रीति-रिवाजों के तहत “डीनीयानी टुसूमनी” की स्थापना करवाई। पारंपरिक लाल पाईर की साड़ियां और धोती पहने लोग सांस्कृतिक धुनों पर थिरकते नजर आए।
इस आयोजन की वजह से शहर में जाम की स्थिति बनी रही, लेकिन सड़क पर रुकने वाले लोग भी टुसू संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और छऊ नृत्य का आनंद लेते दिखे।
कला और संगीत ने बांधा समां
कार्यक्रम में झारखंड के कई प्रसिद्ध क्षेत्रीय कलाकारों ने अपने गीत और नृत्य प्रस्तुत किए। बब्बन देहाती, श्याम बडाइक, सावित्री कर्मकार, मजबूल खान, और इगनेश जैसे कलाकारों ने अपनी कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। छऊ नृत्य और पारंपरिक झारखंडी गीतों ने आयोजन को और भी खास बना दिया।
टुसू स्थापना की पारंपरिक विधि
टुसू स्थापना में झारखंड की पुरानी परंपराओं को जीवंत किया गया। नैगाचारी कुंवारी कन्याओं और माता-बहनों ने गुड्डी, अरवा चावल, साल पत्ते का दोना, सिंदूर, काजल, गोबर, दूब घास, और फूलों से “डीनीयानी टुसूमनी” का पूजन किया। सामूहिक गीतों के साथ इस स्थापना ने पूरे माहौल को सांस्कृतिक ऊर्जा से भर दिया।

आयोजन का उद्देश्य और भविष्य की योजना
महोत्सव के आयोजक देवेंद्र नाथ महतो ने बताया कि राजधानी के बीचों-बीच टुसू महोत्सव का आयोजन क्षेत्रीय संस्कृति को जीवित रखने और इसकी महिमा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हम इस पर्व को और भी बड़े स्तर पर मनाने की योजना बना रहे हैं। मकर संक्रांति के दिन डीनीयानी टुसूमनी को नदी में प्रवाहित कर पर्व का समापन होगा।”
सैकड़ों लोग बने गवाह
इस आयोजन में राज्यसभा की पूर्व सांसद महुआ मांझी, तरुण महतो, विजय सिंह, अयूब अली, और अन्य प्रमुख हस्तियों के साथ हजारों लोग शामिल हुए। राजधानी में इस तरह के आयोजनों से झारखंड की सांस्कृतिक परंपराओं का प्रचार-प्रसार होता है।
टुसू महोत्सव न केवल राज्य की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करता है, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का अवसर भी प्रदान करता है।