कड़िया मुंडा भारतीय राजनीति के एक प्रमुख चेहरा और झारखंड के जनजातीय समुदाय के एक सशक्त प्रतिनिधि हैं। वह 20 अप्रैल 1936 को झारखंड के खूंटी जिले में जन्मे। भारतीय राजनीति में उन्होंने अपनी सादगी, ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता के लिए खास पहचान बनाई। कड़िया मुंडा ने अपनी राजनीतिक यात्रा में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने में योगदान दिया।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
कड़िया मुंडा का जन्म झारखंड के खूंटी जिले के एक आदिवासी परिवार में हुआ। यह क्षेत्र भारत के जनजातीय बहुल इलाकों में से एक है। उन्होंने रांची विश्वविद्यालय से मानव विज्ञान (Anthropology) में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। मानव विज्ञान में उनकी पढ़ाई ने उन्हें आदिवासी समाज की गहरी समझ प्रदान की, जो उनकी राजनीति और समाजसेवा में काम आई।
झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ाव
खूंटी जिला, जहां कड़िया मुंडा का जन्म हुआ, महान आदिवासी नेता बिरसा मुंडा का भी जन्मस्थान है। इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत ने कड़िया मुंडा के जीवन और सोच पर गहरा प्रभाव डाला।
राजनीतिक करियर की शुरुआत
कड़िया मुंडा ने अपनी राजनीति की शुरुआत जनता पार्टी के साथ की। 1977 में उन्होंने खूंटी लोकसभा क्षेत्र से पहली बार चुनाव लड़ा और विजय प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने 1989, 1991, 1996, 1998, 1999, 2009 और 2014 में भी इसी क्षेत्र से जीत हासिल की।

लोकसभा और केंद्रीय मंत्री पद पर कार्यकाल
- 1977: मोरारजी देसाई सरकार में इस्पात और खनिज मंत्रालय के राज्य मंत्री बने।
- 1999: अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में ग्रामीण और लघु उद्योग मंत्री का पदभार संभाला।
- 2001-2003: कोयला और गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय के मंत्री रहे।
झारखंड के गठन में योगदान
झारखंड के गठन के समय, कड़िया मुंडा को राज्य का पहला मुख्यमंत्री बनने का एक मजबूत दावेदार माना गया। हालांकि, यह पद बाबूलाल मरांडी को दिया गया। इसके बावजूद उन्होंने झारखंड के विकास और आदिवासी समाज के उत्थान में अपना सक्रिय योगदान दिया।
15वीं लोकसभा के उपाध्यक्ष का कार्यकाल
कड़िया मुंडा को 15वीं लोकसभा के उपाध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुना गया। यह पदभार उनकी नेतृत्व क्षमता और संसदीय अनुभव का प्रमाण था।
पठलगड़ी आंदोलन और आदिवासी अधिकार
2016-17 में झारखंड सरकार ने छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम, 1908 और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम, 1949 में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा। इस संशोधन का उद्देश्य आदिवासी जमीन के व्यावसायिक उपयोग की अनुमति देना था।

पठलगड़ी आंदोलन की मुख्य बातें
- आदिवासी समाज ने इस संशोधन का विरोध किया।
- खूंटी जिले में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान कड़िया मुंडा के सुरक्षाकर्मियों का अपहरण कर लिया गया।
- इस आंदोलन ने आदिवासी समाज के अधिकारों और उनके जमीन से जुड़े मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर किया।
राजनीतिक जीवन का समापन
2019 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कई वरिष्ठ नेताओं को टिकट नहीं दिया, जिसमें कड़िया मुंडा भी शामिल थे। हालांकि, उनका राजनीतिक जीवन भारतीय राजनीति में एक अमूल्य योगदान के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।
कड़िया मुंडा भारतीय राजनीति के एक ऐसे व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने अपनी सादगी और निष्ठा से जनजातीय समाज के उत्थान और देश की लोकतांत्रिक परंपराओं को सशक्त किया। उनका जीवन और कार्य हमें प्रेरित करता है कि किस प्रकार एक साधारण व्यक्ति भी अपनी दृढ़ता और समर्पण से असाधारण उपलब्धियां हासिल कर सकता है।