Ranchi: कांग्रेस पार्टी में बड़ा संगठनात्मक फेरबदल हुआ है। पार्टी ने बिहार, पंजाब, मध्य प्रदेश समेत 11 राज्यों में नए प्रभारी नियुक्त किए हैं। इसी क्रम में झारखंड कांग्रेस को भी नया नेतृत्व मिला है। के. राजू को झारखंड प्रदेश कांग्रेस का नया प्रभारी नियुक्त किया गया है। इससे पहले इस पद पर गुलाम अहमद मीर थे, जिन्हें पार्टी ने हटा दिया है।
कौन हैं के. राजू?
के. राजू आंध्र प्रदेश कैडर के 1981 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी रहे हैं। उन्होंने 2013 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी। यूपीए सरकार के कार्यकाल में वे सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद में सचिव के पद पर कार्यरत थे। सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, मनरेगा और खाद्य सुरक्षा कानूनों के ड्राफ्ट तैयार करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।
कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में उन्हें एक भरोसेमंद रणनीतिकार माना जाता है। वे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की कोर टीम का हिस्सा भी रहे हैं। उनके अनुभव को देखते हुए पार्टी ने उन्हें झारखंड की जिम्मेदारी सौंपी है।
अन्य राज्यों में भी नए प्रभारी नियुक्त
के. राजू के अलावा कांग्रेस ने कई अन्य राज्यों में भी नए प्रभारी नियुक्त किए हैं। कृष्णा अलावरु को बिहार, हरिश चौधरी को मध्य प्रदेश, बी. के. हरिप्रसाद को हरियाणा और मीनाक्षी नटराजन को तेलंगाना का प्रभारी बनाया गया है। वहीं, पंजाब की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सौंपी गई है।
इसके अलावा,
- रजनी पाटिल – हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़
- गिरीश चोडणकर – तमिलनाडु और पुडुचेरी
- अजय कुमार लुलु – ओडिशा
- सप्तगिरी शंकर उल्का – मणिपुर, त्रिपुरा और सिक्किम
इन सभी नेताओं को उनके राज्यों में कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई है।
झारखंड में कांग्रेस के सामने चुनौतियां
के. राजू की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब झारखंड कांग्रेस कई चुनौतियों का सामना कर रही है। हाल ही में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों को दिल्ली बुलाकर कांग्रेस आलाकमान ने एक बैठक की थी। इस बैठक में कांग्रेस के कोर एजेंडे पर चर्चा हुई और नेताओं को निर्देश दिए गए कि वे जातीय जनगणना, बेरोजगारी और विकास से जुड़े मुद्दों पर पार्टी की स्थिति मजबूत करें।
झारखंड में कांग्रेस का मिशन 2024 अब पूरी तरह से के. राजू के कंधों पर है। उन्हें राज्य में पार्टी संगठन को मजबूत करने के साथ-साथ आगामी चुनावों में कांग्रेस की रणनीति को धार देने की जिम्मेदारी मिली है। देखना होगा कि वे इस नई भूमिका में कितनी प्रभावी भूमिका निभाते हैं।
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