झारखंड के नए डीजीपी की नियुक्ति पर विवाद
झारखंड में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति के महज दो दिन बाद यह विवादों में आ गई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना करार दिया और सीबीआई जांच की मांग उठाई। वहीं, सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भाजपा पर राजनीतिक दुर्भावना का आरोप लगाते हुए इसे चुनावी हार की हताशा करार दिया।
भाजपा ने क्यों उठाए सवाल?
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को अवैध बताते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने ही उन्हें विधानसभा चुनाव 2024 से पहले डीजीपी पद से हटाया था, फिर उन्हें दोबारा नियुक्त करना कैसे न्यायसंगत हो सकता है? भाजपा ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की चेतावनी दी है।
हेमंत सोरेन ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना कर अनुराग गुप्ता को @jharkhandpolice का डीजीपी नियुक्ति किया है। कदाचार में लिप्त अनुराग गुप्ता यूपीएससी द्वारा अनुशंसित सूची में नहीं थे, इसके बावजूद उन्हेंं डीजीपी बनाया गया है।
— Babulal Marandi (@yourBabulal) February 5, 2025
उक्त संदर्भ में आज प्रदेश कार्यालय में…
चुनाव आयोग द्वारा हटाया गया था अनुराग गुप्ता
2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग ने अनुराग गुप्ता को डीजीपी पद से हटा दिया था और उनकी जगह अजय कुमार सिंह को नियुक्त किया गया था। भाजपा ने आरोप लगाया कि अनुराग गुप्ता का चुनावी कदाचार में नाम आ चुका है, इसलिए उनकी नियुक्ति पर सवाल उठ रहे हैं।
झामुमो का जवाब – भाजपा की हताशा
झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अनुराग गुप्ता की नियुक्ति मंत्रिमंडल बैठक में पूरी संवैधानिक प्रक्रिया के तहत की गई थी। उन्होंने कहा कि यह भाजपा की राजनीतिक हताशा का संकेत है, जो चुनाव में हार के बाद अनर्गल आरोप लगा रही है।
यूपीएससी पैनल को किया गया नजरअंदाज?
भाजपा ने यह भी दावा किया कि अनुराग गुप्ता का नाम संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के डीजीपी पैनल में शामिल नहीं था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, डीजीपी की नियुक्ति UPSC द्वारा अनुशंसित पैनल से होनी चाहिए, लेकिन राज्य सरकार ने यूपीएससी की सिफारिशों को दरकिनार कर दिया।
भाजपा की सीबीआई जांच की मांग
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि अनुराग गुप्ता का कार्यकाल विवादास्पद रहा है और उन पर चुनावी धांधली के आरोप लगे हैं। ऐसे में उनकी नियुक्ति की सीबीआई जांच होनी चाहिए। भाजपा का आरोप है कि झामुमो सरकार पुलिस प्रशासन को अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए इस्तेमाल कर रही है।
अनुराग गुप्ता का कार्यकाल – विवादों की कहानी
अनुराग गुप्ता के कार्यकाल को लेकर कई विवाद सामने आए हैं:
- चुनावी धांधली के आरोप – भाजपा का आरोप है कि 2019 और 2024 के विधानसभा चुनावों में अनुराग गुप्ता पर चुनावी अनियमितताओं का आरोप लगा था।
- चुनाव आयोग का हस्तक्षेप – 2024 में उन्हें डीजीपी पद से हटाने का फैसला निर्वाचन आयोग ने लिया था।
- यूपीएससी की अनदेखी – झारखंड सरकार ने यूपीएससी पैनल में उनका नाम नहीं होने के बावजूद उन्हें नियुक्त किया।
हेमंत सोरेन सरकार की सफाई
हेमंत सोरेन सरकार ने भाजपा के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि अनुराग गुप्ता की नियुक्ति कानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया के तहत हुई है। सरकार ने स्पष्ट किया कि अन्य राज्यों में भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
क्या सुप्रीम कोर्ट में जाएगा मामला?
भाजपा की चेतावनी के बाद संभावना जताई जा रही है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है। अगर कोर्ट ने सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार दिया, तो अनुराग गुप्ता की नियुक्ति रद्द भी की जा सकती है।
झारखंड में डीजीपी नियुक्ति विवाद ने राजनीतिक तकरार को और गहरा कर दिया है। भाजपा इसे असंवैधानिक बताते हुए सीबीआई जांच की मांग कर रही है, जबकि झामुमो इसे भाजपा की राजनीतिक हताशा बता रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचेगा और अदालत इस पर क्या फैसला देगी।