झारखंड पुलिस ने साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। जामताड़ा पुलिस ने संगठित साइबर क्राइम गैंग का पर्दाफाश करते हुए इसके 6 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। ये साइबर अपराधी देशभर में 400 से अधिक मामलों में वांछित थे और अब तक 11.34 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी कर चुके हैं। उनकी गिरफ्तारी के साथ ही उनकी कार्यप्रणाली और आधुनिक अपराध तकनीकों का खुलासा हुआ है।
गिरफ्तारी के पीछे की कहानी
1. एक महीने की निगरानी और योजना
जामताड़ा पुलिस ने दो प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारियों, राघवेंद्र शर्मा और चंद्रशेखर, के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाई। टीम ने एक महीने तक इन साइबर अपराधियों की गतिविधियों पर नजर रखी। इस ऑपरेशन की सफलता के लिए टीम ने अत्याधुनिक तकनीक और रणनीति का उपयोग किया।
2. गिरफ्तार साइबर अपराधियों की पहचान
गिरफ्तार किए गए अपराधियों में प्रमुख नाम हैं:
- मो. मेहबूब आलम
- सफाउद्दीन अंसारी
- मो. आरिफ अंसारी
- मो. जसीम अंसारी
- शेख बेलाल उर्फ डीके बॉस
- अजय मंडल
इनमें से तीन अपराधी गिरिडीह जिले के रहने वाले हैं, और एक जामताड़ा के कुख्यात सियाटांड़ गांव का निवासी है।
गिरोह की अत्याधुनिक तकनीक
1. फर्जी मोबाइल ऐप्स का निर्माण
यह गिरोह प्रधानमंत्री किसान योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, और कई नामी बैंकों जैसे एसबीआई, कैनरा बैंक, और पंजाब नेशनल बैंक के नाम पर फर्जी ऐप बनाता था।
- ये ऐप्स व्हाट्सऐप के जरिए आम जनता को भेजे जाते थे।
- जैसे ही कोई यूजर इन्हें डाउनलोड करता, उनका मोबाइल हैक हो जाता।
- ऐप्स के जरिए फोन के एसएमएस, ओटीपी, और बैंक डिटेल्स चुराए जाते थे।
2. संगठित साइबर क्राइम का जाल
गिरोह इन फर्जी ऐप्स को 20-25 हजार रुपए में अन्य साइबर अपराधियों को भी बेचता था। इसके अलावा, इनके पास एक फर्जी सेंट्रल पैनल था, जो पीड़ितों के हजारों एसएमएस देख सकता था।
जांच में मिले चौकाने वाले तथ्य
1. पीड़ितों का डाटा
गिरोह के पास से 2700 पीड़ितों का डाटा और 2.78 लाख से अधिक एसएमएस बरामद हुए। इन संदेशों में व्हाट्सऐप ओटीपी, बैंक लॉग-इन डिटेल्स, और वित्तीय लेनदेन संबंधी जानकारी शामिल थी।
2. बैंक डिटेल्स
गिरफ्तारी के दौरान पंजाब नेशनल बैंक के 2000 और कैनरा बैंक के 500 अकाउंट होल्डर्स का डाटा मिला।
गिरोह के सरगना और डीके बॉस
1. डीके बॉस का नाम और पहचान
गिरोह के तीन सदस्य अपने छद्म नाम ‘डीके बॉस’ से साइबर अपराधों को अंजाम देते थे। उनका फर्जी ऐप अन्य साइबर अपराधियों के बीच कुख्यात था।
2. गिरफ्तारी के दौरान जब्त सामान
गिरफ्तार साइबर अपराधियों के पास से 14 मोबाइल फोन, 23 सिम कार्ड, 10 एटीएम कार्ड, 1 लैपटॉप, 2 फोर व्हीलर, 1 डीएसएलआर कैमरा, 1 ड्रोन कैमरा और 1,08,800 रुपए नकद बरामद किए गए।
जामताड़ा का कुख्यात नाम
1. साइबर क्राइम का केंद्र
झारखंड के जामताड़ा को देशभर में साइबर अपराधों के लिए बदनाम किया गया है। यहां के कई गांवों में संगठित तरीके से साइबर अपराध होते हैं।
2. साइबर क्राइम पर लगाम लगाने की कोशिशें
झारखंड पुलिस ने इस क्षेत्र में साइबर क्राइम पर काबू पाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनमें इस तरह के गिरोह का पर्दाफाश शामिल है।
गिरोह की कार्यप्रणाली
1. ऐप्स के जरिए ठगी
- फर्जी ऐप्स को व्हाट्सऐप के माध्यम से भेजना।
- यूजर्स के फोन को हैक करना और डिटेल्स चुराना।
- चुराए गए डेटा से बैंक अकाउंट खाली करना।
2. अन्य अपराधियों को तकनीकी सपोर्ट
गिरोह अन्य अपराधियों को फर्जी ऐप्स और डेटा भी बेचता था।
झारखंड पुलिस की यह कार्रवाई साइबर क्राइम के खिलाफ एक बड़ी सफलता है। इससे न केवल अपराधियों पर शिकंजा कसा गया है, बल्कि आम जनता को सतर्क रहने का संदेश भी दिया गया है।