मकर संक्रांति का पर्व भारतीय संस्कृति और धर्म में एक विशेष स्थान रखता है। मकर संक्रांति हर साल जनवरी महीने में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ मनाया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि इसके साथ ऋतु परिवर्तन और फसल कटाई का भी गहरा संबंध है। मकर संक्रांति 2025 का पर्व इस बार 14 जनवरी को मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति 2025 का शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti 2025 Shubh Muhurat)
इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के समय आधारित है।
- सूर्य का मकर राशि में प्रवेश: सुबह 8:41 बजे।
- पुण्य काल: सुबह 9:03 से शाम 5:46 तक।
- महापुण्य काल: सुबह 9:03 से सुबह 10:48 तक।
इस अवधि में स्नान, दान और भगवान सूर्य की पूजा विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।
मकर संक्रांति: एक पर्व, कई नाम
भारत के विभिन्न हिस्सों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है:
- पोंगल: तमिलनाडु में यह पर्व नई फसल के स्वागत के लिए मनाया जाता है।
- लोहड़ी: पंजाब और हरियाणा में लोहड़ी के रूप में फसल कटाई का उत्सव होता है।
- माघ बिहू: असम में इसे माघ बिहू के रूप में मनाया जाता है।
- उत्तरायण: गुजरात और राजस्थान में यह पतंग उत्सव के साथ मनाया जाता है।
मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व
भगवान सूर्य और शनि का मिलन
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं। चूंकि शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं, इसलिए इस दिन को पिता-पुत्र के अद्भुत मिलन के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
विष्णु जी की विजय
एक अन्य कथा के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का संहार कर उन्हें पृथ्वी से मुक्त किया था। इस विजय को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है।
दान का महत्व
मकर संक्रांति पर दान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया दान कई गुना फलदायी होता है।
क्या-क्या दान करें?
- तिल और गुड़: यह स्वास्थ्य और समृद्धि के प्रतीक हैं।
- कंबल और वस्त्र: ठंड के मौसम में गरीबों को राहत पहुंचाने के लिए।
- अन्न और धन: अनाज और धन का दान समृद्धि बढ़ाता है।
मकर संक्रांति और ऋतु परिवर्तन
मकर संक्रांति केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और प्राकृतिक महत्व भी रखती है।
- सर्दी का अंत: मकर संक्रांति से सर्दी का प्रकोप कम होने लगता है।
- बसंत ऋतु का आगमन: यह पर्व वसंत के आगमन का संकेत देता है।
- सूर्य का उत्तरायण होना: इस दिन से सूर्य दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर गति करता है, जो दिन को बड़ा और रात को छोटा बनाता है।
मकर संक्रांति की परंपराएं
गंगा स्नान
इस दिन गंगा, यमुना या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। यह आत्मशुद्धि और पापों के नाश का प्रतीक है।
तिल-गुड़ की मिठाई
इस दिन तिल और गुड़ से बनी मिठाई खाने और बांटने की परंपरा है। यह मिठास और सामंजस्य का प्रतीक है।
पतंगबाजी
गुजरात और राजस्थान में पतंग उड़ाने की परंपरा है। इसे उत्सव का आनंद बढ़ाने और सूर्य को समर्पित करने के रूप में देखा जाता है।
मकर संक्रांति का सामाजिक महत्व
- किसानों का उत्सव: नई फसल के आगमन का स्वागत।
- समुदाय का मेल-जोल: यह पर्व सभी को एक साथ आने और मिल-जुलकर मनाने का अवसर प्रदान करता है।
- स्वास्थ्य और संतुलन: ठंड से बचने और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए तिल और गुड़ का सेवन फायदेमंद होता है।
मकर संक्रांति 2025: FAQs
1. मकर संक्रांति 2025 का शुभ मुहूर्त क्या है?
उत्तर: इस वर्ष मकर संक्रांति का पुण्य काल सुबह 9:03 बजे से शाम 5:46 बजे तक है, और महापुण्य काल सुबह 9:03 बजे से 10:48 बजे तक रहेगा।
2. मकर संक्रांति पर क्या दान करना चाहिए?
उत्तर: तिल, गुड़, कंबल, वस्त्र, और अन्न का दान करना शुभ माना जाता है।
3. मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व क्या है?
उत्तर: मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण हो जाता है, जिससे दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। यह सर्दी के अंत और वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है।
मकर संक्रांति 2025 का यह पर्व हमें न केवल धार्मिक आस्था, बल्कि सामुदायिक एकता और प्राकृतिक संतुलन का महत्व भी सिखाता है। आइए, इस पर्व को पूरे उत्साह और समर्पण के साथ मनाएं!