Makar Sankranti 2025 का पर्व इस बार 14 जनवरी, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे और दक्षिणायन से उत्तरायण होंगे। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, इस दिन का महत्व धार्मिक, सांस्कृतिक और ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद खास है। प्रयागराज के संगम तट पर कुम्भ स्नान की शुरुआत होगी, जो श्रद्धालुओं के लिए अद्भुत पुण्य का अवसर प्रदान करती है।
इस बार मकर संक्रांति की तिथि को लेकर कोई असमंजस नहीं है। पं. उमेश शास्त्री दैवज्ञ के अनुसार, सूर्यदेव सुबह 8:54 बजे पुष्य नक्षत्र में मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस शुभ दिन पर खरमास की समाप्ति होगी और विवाह, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य फिर से प्रारंभ होंगे।
मकर संक्रांति का महत्व और विशेषताएं
1. धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
मकर संक्रांति पर सूर्यदेव का उत्तरायण होना धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन दान-पुण्य, गंगा स्नान और पूजा-अर्चना के लिए विशेष माना गया है। ज्योतिषियों के अनुसार, मकर संक्रांति पर किया गया दान और स्नान सौ गुना फल देता है।
2. खरमास की समाप्ति
खरमास का समापन मकर संक्रांति के साथ होता है। इसके बाद विवाह, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। यह समय वैदिक परंपराओं के अनुसार, अत्यधिक शुभ होता है।
3. कुम्भ स्नान का शुभारंभ
प्रयागराज में संगम तट पर इस दिन से माघ मेला और कुम्भ स्नान की शुरुआत होती है। श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं। स्नान का पुण्य काल इस बार सुबह 9:03 से शाम 5:47 तक रहेगा, जिसमें महापुण्य काल सुबह 9:03 से 10:50 तक का होगा।
4. सूर्य उपासना और दान का महत्व
मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। इस दिन तिल, गुड़, रेवड़ी और वस्त्रों का दान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है।
मकर संक्रांति से जुड़े सांस्कृतिक आयोजन
1. प्रयागराज में संगम तट पर विशेष आयोजन
प्रयागराज के संगम तट पर हर साल मकर संक्रांति के दिन लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान और पूजा करने आते हैं। यहां पर धार्मिक अनुष्ठान, कथा-वाचन और विशेष आयोजन किए जाते हैं।
2. क्षेत्रीय मंदिरों में उत्सव
मकर संक्रांति के अवसर पर क्षेत्र के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और उत्सव मनाए जाते हैं। यह समय भक्तों के लिए ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करने का सुनहरा अवसर होता है।
3. लोहड़ी का पर्व
मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व 13 जनवरी को लोहड़ी का पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व मुख्यतः फसल की बुवाई और कटाई से जुड़ा हुआ है। लोहड़ी की अग्नि में गुड़, तिल और रेवड़ी डालने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है।
मकर संक्रांति: शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
1. मकर संक्रांति का पुण्य काल
- पुण्य काल: सुबह 9:03 से शाम 5:47 तक (कुल 8 घंटे 43 मिनट)
- महापुण्य काल: सुबह 9:03 से 10:50 तक (कुल 1 घंटा 47 मिनट)
2. पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
- तांबे के लोटे में जल, तिल और गुड़ डालकर अर्घ्य दें।
- पीले वस्त्र पहनकर भगवान सूर्य की पूजा करें।
- तिल, गुड़, रेवड़ी, और अन्य खाद्य सामग्री का दान करें।
मकर संक्रांति पर ध्यान रखने योग्य बातें
- सूर्य को अर्घ्य देना न भूलें।
- दान-पुण्य के लिए तिल, गुड़, और वस्त्रों का उपयोग करें।
- स्नान और पूजा के समय शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें।
- इस दिन किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करना लाभकारी माना जाता है।
मकर संक्रांति 2025 का शुभ मुहूर्त कब है?
मकर संक्रांति का पुण्य काल सुबह 9:03 से शाम 5:47 तक रहेगा। महापुण्य काल सुबह 9:03 से 10:50 तक होगा।
इस दिन कौन-कौन से दान करना शुभ माना जाता है?
तिल, गुड़, रेवड़ी, वस्त्र और अनाज का दान करना अत्यंत शुभ और पुण्यकारी माना जाता है।
मकर संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व क्या है?
इस दिन सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तरायण होते हैं। इसे धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद शुभ माना जाता है, जिससे मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होता है।
मकर संक्रांति 2025 का पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक उत्साह से भरपूर होगा। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी अद्वितीय महत्व रखता है। इस शुभ दिन का अधिकतम लाभ उठाने के लिए दान-पुण्य और सूर्योपासना अवश्य करें।