Ranchi: रांची प्रेस क्लब में एलायंस इंडिया साहस प्रोजेक्ट के तहत उत्थान संस्था द्वारा स्टेट वेलफेयर बोर्ड फॉर्मेशन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में झारखंड हाई कोर्ट के एडवोकेट, सामाजिक कार्यकर्ता और मीडिया प्रतिनिधि शामिल हुए। खासकर, ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड की स्थिति और इससे जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा की गई।
ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड: गठन हुआ, लेकिन काम अधूरा
2014 में सुप्रीम कोर्ट के नालसा जजमेंट के तहत सभी राज्यों को ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड बनाने का निर्देश दिया गया था। झारखंड सरकार ने जुलाई 2024 में इस बोर्ड का गठन किया, लेकिन अब तक इसका प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो सका है।
कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता साध्वी अमरजीत सखी ने बताया कि उन्होंने पीआईएल दायर कर ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड के गठन की मांग की थी। हालांकि, बोर्ड सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है और पिछले सात महीनों से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। अधिकारियों से जब भी इस मुद्दे पर सवाल किया जाता है, तो वे यह कहकर टाल देते हैं कि वे अभी ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों की तलाश कर रहे हैं।
मानवाधिकार संगठन और न्यायालय की प्रतिक्रिया
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकारी अध्यक्ष उषा सिंह ने जल्द से जल्द बोर्ड को सक्रिय करने और ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस पर कार्रवाई नहीं की, तो मानवाधिकार संगठन भी इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करेगा।
रांची हाई कोर्ट के एडवोकेट रितिक का कहना था कि यदि सरकार जल्द कार्रवाई नहीं करती, तो अदालत इस मामले को दोबारा संज्ञान में ले सकती है।
नीतियों का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन जरूरी
कार्यक्रम के दौरान ट्रांसजेंडर अधिकारों और कल्याणकारी योजनाओं पर गहन विचार-विमर्श किया गया। इसमें NLSA बनाम UOI और झारखंड ट्रांसजेंडर कलेक्टिव बनाम राज्य सरकार जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा हुई।
एडवोकेट जगदीश ने कहा कि सरकार को ट्रांसजेंडर समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए वेलफेयर बोर्ड को सक्रिय करना चाहिए। केवल कागजी घोषणाओं से काम नहीं चलेगा, योजनाओं का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन आवश्यक है।
सरकार से क्या हैं उम्मीदें?
ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों और कल्याण के लिए सरकार को ठोस नीति बनानी होगी। साथ ही, वेलफेयर बोर्ड को जल्द से जल्द सक्रिय कर इस समुदाय को सरकारी योजनाओं का वास्तविक लाभ दिलाना होगा।
कार्यक्रम में शामिल सभी प्रतिनिधियों ने एक सुर में इस मांग को दोहराया कि ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड को प्रभावी रूप से लागू किया जाए, ताकि यह समुदाय समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सके और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष न करना पड़े।