Ranchi: झारखंड की राजधानी रांची में स्थित एनआईए कोर्ट में एक धमकी भरा पत्र मिलने से सुरक्षा एजेंसियों में खलबली मच गई है। इस पत्र में ना सिर्फ कोर्ट के जज पर हमले की धमकी दी गई है, बल्कि एक बड़ी जेल ब्रेक की साजिश की बात भी कही गई है। पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए कोतवाली थाना में एफआईआर दर्ज की गई है और जांच शुरू कर दी गई है।
पत्र में धमकी देने वाले ने एनआईए जज पर एक महीने के अंदर हमले की बात कही है। साथ ही लिखा गया है कि जेल ब्रेक के लिए शूटरों को पैसे भी दिए जा चुके हैं। पत्र के जरिए यह दावा किया गया है कि इस योजना के तहत माओवादी नेता शीला मरांडी और प्रशांत बोस को जेल से छुड़ाने की तैयारी की जा रही है।
एफआईआर दर्ज, जांच में जुटी पुलिस
कोतवाली थाना प्रभारी आदिकांत महतो ने अपने बयान में बताया कि यह पत्र शुक्रवार को एनआईए कोर्ट कार्यालय में स्पीड पोस्ट के माध्यम से आया। पत्र दो लिफाफों में भेजा गया था, जिनमें अलग-अलग नाम अंकित हैं। पत्र गुमनाम रूप से भेजा गया है लेकिन उसमें एक मोबाइल नंबर भी लिखा गया है, जिससे कुछ सुराग मिलने की उम्मीद है।
एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने पत्र की हैंडराइटिंग, लिफाफों पर दिए गए नाम और मोबाइल नंबर को ध्यान में रखते हुए साइबर सेल की मदद लेना शुरू कर दिया है। साथ ही एनआईए कोर्ट की सुरक्षा को लेकर भी रिव्यू किया जा रहा है।
माओवादी नामों का खुलासा बढ़ा रहा है सनसनी
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पत्र में भाकपा माओवादी के कुख्यात नेता प्रशांत बोस और शीला मरांडी का जिक्र किया गया है। बताया गया है कि इन दोनों को जेल से निकालने के लिए पूरी साजिश रची गई है और इसके लिए फंडिंग की जा चुकी है। यह मामला सिर्फ एक धमकी भर नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा गंभीर विषय बन गया है।
सूत्रों के मुताबिक, खुफिया एजेंसियां पहले से ही जेल ब्रेक की संभावनाओं को लेकर सतर्क थीं, लेकिन अब यह पत्र उनके लिए एक अलर्ट की तरह है। सुरक्षा एजेंसियों ने रांची और आसपास के जेलों में सुरक्षा बढ़ा दी है।
कोर्ट और जेल परिसरों की सुरक्षा बढ़ाई गई
धमकी भरे पत्र के बाद एनआईए कोर्ट और जेल परिसरों की सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया गया है। विशेष रूप से उन जेलों में जहां प्रशांत बोस और शीला मरांडी जैसे माओवादी बंद हैं, वहां अतिरिक्त बलों की तैनाती की गई है।
साथ ही न्यायालय परिसरों में आने-जाने वालों की सघन जांच की जा रही है। मामले को एनआईए और आईबी (Intelligence Bureau) के अधिकारियों ने भी गंभीरता से लिया है और जल्द ही इसकी संयुक्त जांच शुरू की जा सकती है।
रांची के एनआईए कोर्ट में धमकी भरा पत्र मिलना न केवल राज्य के लिए बल्कि देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी बड़ा अलर्ट है। पत्र में दी गई चेतावनी और उसमें शामिल माओवादी नाम इसे साधारण मामला नहीं रहने देते। अब देखना होगा कि जांच एजेंसियां इस साजिश को समय रहते नाकाम कर पाती हैं या नहीं।