गाजियाबाद: रविवार तड़के तेज बारिश और तूफान ने कहर बरपा दिया। लोनी क्षेत्र के इंद्रापुरी स्थित एसीपी ऑफिस की छत गिरने से एक सब-इंस्पेक्टर की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा उस समय हुआ जब सब-इंस्पेक्टर ऑफिस में सो रहे थे।
तेज बारिश और तूफानी हवाओं के चलते रविवार रात 2:30 बजे दिल्ली-सहारनपुर रोड पर स्थित इंद्रापुरी एसीपी ऑफिस की छत अचानक भरभराकर गिर पड़ी। हादसे के समय सब-इंस्पेक्टर वीरेंद्र कुमार मिश्रा ड्यूटी के बाद ऑफिस के एक कमरे में सो रहे थे।
मलबे में दबे सब-इंस्पेक्टर की मौके पर ही गई जान
छत गिरने से मिश्रा मलबे में दब गए और उन्हें गंभीर चोटें आईं। सुबह जब बारिश थमी और अन्य पुलिसकर्मी ऑफिस पहुंचे, तब इस दर्दनाक हादसे का पता चला। पुलिस और स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें मलबे से बाहर निकाला गया और नाईपुरा स्थित संयुक्त अस्पताल पहुंचाया गया।
अस्पताल में डॉक्टरों ने जांच के बाद 58 वर्षीय सब-इंस्पेक्टर को मृत घोषित कर दिया। इस खबर से पुलिस विभाग और मृतक के परिवार में शोक की लहर दौड़ गई है। पुलिस ने तुरंत परिजनों और उच्च अधिकारियों को सूचना दे दी है।
मूलरूप से इटावा के रहने वाले थे मृतक सब-इंस्पेक्टर
एसीपी अंकुर विहार अजय कुमार ने बताया कि सब-इंस्पेक्टर वीरेंद्र कुमार मिश्रा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के निवासी थे और अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते थे। वह एक समर्पित और अनुशासित पुलिसकर्मी थे, जो अक्सर ड्यूटी के बाद ऑफिस में ही विश्राम कर लेते थे।
अधिकारियों के अनुसार, शनिवार रात ड्यूटी पूरी करने के बाद वह ऑफिस में ही रुक गए थे। दुर्भाग्यवश उसी रात तेज बारिश के कारण ऑफिस की छत भरभराकर गिर गई, जिससे यह हादसा हुआ।
सामान भी हुआ तबाह, विभागीय जांच के आदेश
हादसे में ऑफिस के अंदर रखे जरूरी दस्तावेज़ और फर्नीचर भी मलबे में दबकर नष्ट हो गए हैं। बताया जा रहा है कि एसीपी ऑफिस की बिल्डिंग काफी पुरानी थी और उसकी हालत जर्जर थी। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस विभाग ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं।
स्थानीय प्रशासन द्वारा बिल्डिंग की सुरक्षा और मजबूती को लेकर लापरवाही के आरोप भी सामने आ रहे हैं। अब यह जांच का विषय है कि क्या यह हादसा मानव लापरवाही का नतीजा था या केवल एक प्राकृतिक आपदा।
गाजियाबाद में इमारतों की सुरक्षा पर उठे सवाल
यह हादसा गाजियाबाद में सरकारी भवनों की सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। बारिश और तूफान के मौसम में इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं, लेकिन समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए। अब जरूरी हो गया है कि प्रशासन सभी सरकारी भवनों की सुरक्षा की समीक्षा करे।
वीरेंद्र कुमार मिश्रा की यह दुखद मौत केवल एक हादसा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है — कि हमें अपने तंत्र की खामियों को समय रहते सुधारना होगा, वरना ऐसे हादसे दोहराए जाते रहेंगे।