Ranchi: झारखंड में मानसून के सक्रिय होते ही बेमौसम कहर बरपाना शुरू कर दिया है। रांची और खूंटी जिलों में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड में बनई नदी पर बना एक पुल बुधवार को टूट गया, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया।
भारी बारिश ने ली पुल की मजबूती की परीक्षा
पिछले दो दिनों से रुक-रुक कर हो रही मूसलधार बारिश ने कई इलाकों की नदियों को उफान पर ला दिया है। इसी बीच, खूंटी के तोरपा क्षेत्र में बनई नदी पर बना पुल अचानक ध्वस्त हो गया। घटना के वक्त एक ट्रक पुल से गुजर रही थी, लेकिन चालक की सतर्कता ने उसे समय रहते रोक दिया और बड़ा हादसा टल गया।
ट्रक चालक की सूझबूझ ने बचाई जान
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जब ट्रक पुल पर चढ़ रही थी, तभी पुल का एक हिस्सा धंस गया। ड्राइवर ने तुरंत ब्रेक लगाया और किसी तरह ट्रक को गिरने से बचा लिया। अगर पल भर की भी देरी होती, तो ट्रक नदी में समा सकता था। हादसे के बाद पूरे क्षेत्र में आवागमन ठप हो गया है।
बेहतर प्रबंधन की कमी, प्रशासन अलर्ट पर
इस हादसे के बाद प्रशासन सतर्क हो गया है। मुरहू थाना प्रभारी रामदेव यादव ने मौके पर पहुंचकर बचाव और सुरक्षा के इंतजाम शुरू कर दिए हैं। पुल के दोनों ओर बैरिकेडिंग की गई है ताकि कोई और हादसा न हो। जिला प्रशासन ने लोगों से वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करने और अनावश्यक यात्रा से बचने की अपील की है।
बालू माफियाओं की करतूत आई सामने
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह पुल पहले से ही जर्जर था। कई बार शिकायत के बावजूद प्रशासन ने इसे ठीक नहीं कराया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि क्षेत्र में अनियंत्रित तरीके से हो रहे बालू उठाव ने पुल की नींव को कमजोर कर दिया, जिससे यह हादसा हुआ।
नदियों में उफान, राज्य में रेड अलर्ट जारी
19 जून को रांची, खूंटी, लोहरदगा सहित छह जिलों में भारी बारिश को लेकर रेड अलर्ट जारी किया गया है। शंख, दामोदर, बराकर और स्वर्णरेखा जैसी नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। रांची के बेड़ो इलाके में डायवर्जन बह जाने से रास्ता पूरी तरह बंद हो गया है।
नदी किनारे न जाने की अपील
प्रशासन ने लोगों को नदी किनारे न जाने की सख्त हिदायत दी है। अचानक जलस्तर में वृद्धि की आशंका को देखते हुए सभी संबंधित विभागों को अलर्ट मोड पर रखा गया है। लोगों से सतर्कता बरतने और मौसम विभाग के निर्देशों का पालन करने को कहा गया है।
निष्कर्ष: झारखंड में मानसून की पहली ही दस्तक ने बुनियादी ढांचे की पोल खोल दी है। टूटे पुल और उफनती नदियों के बीच आम जनजीवन संकट में है। सवाल यह भी उठता है कि क्या प्रशासन समय रहते ऐसे पुलों की मरम्मत नहीं करवा सकता था?