महावीर नायक: नागपुरी संगीत के सम्राट और पद्मश्री सम्मान से सम्मानित कलाकार

महावीर नायक: नागपुरी संगीत के सम्राट और पद्मश्री सम्मान से सम्मानित कलाकार

महावीर नायक, झारखंड की लोकसंस्कृति और नागपुरी संगीत के एक ऐसे अमूल्य रत्न हैं, जिन्होंने न केवल झारखंड के गांवों और गलियों में अपनी पहचान बनाई, बल्कि विदेशों तक भी अपने संगीत का परचम लहराया। महावीर नायक, जिनका जन्म 24 नवंबर 1942 को रांची के कांके क्षेत्र के उरुगुटु गांव में हुआ, ने अपनी अनोखी प्रतिभा और समर्पण से नागपुरी भाषा और संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

कौन हैं महावीर नायक?

महावीर नायक, झारखंड की क्षेत्रीय भाषा नागपुरी के 82 वर्षीय गायक और गीतकार हैं। उन्होंने नागपुरी भाषा में 5000 से अधिक गीतों का संकलन किया है और 300 से अधिक गीतों की रचना स्वयं की है। उनका संगीत जीवन बचपन में ही शुरू हुआ जब उनके पिताजी और दादाजी, जो स्वयं गांव के मशहूर कलाकार थे, ने उनके जीवन में संगीत की नींव रखी।

महावीर नायक ने 25 जनवरी 2025 को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित होने की घोषणा को क्षेत्रीय कलाकारों और अपनी सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित किया। यह सम्मान न केवल उनकी कला का सम्मान है, बल्कि झारखंड की मधुर संस्कृति का भी परिचायक है।

महावीर नायक का आरंभिक जीवन और शिक्षा

महावीर नायक का जन्म उरुगुटु गांव में हुआ, जहां उन्होंने अपने बचपन में ही लोकगीत और लोकनृत्य की बारीकियां सीखीं। गांव के अखरों (मंचों) पर होने वाले आयोजनों ने उनके संगीत को नई दिशा दी। स्कूल में भी उन्हें अपनी गायकी के लिए काफी सराहना मिली।

1963 में उन्होंने हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (HEC) में नौकरी जॉइन की। नौकरी के साथ-साथ उन्होंने अपने संगीत के प्रति प्रेम और समर्पण को बनाए रखा।

नागपुरी संगीत में योगदान

महावीर नायक ने ‘थेथ नागपुरी संगीत’ को पुनर्जीवित करने और संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह नागपुरी संगीत की एक पारंपरिक शैली है, जो सामाजिक, सांस्कृतिक और मौसमी गीतों पर आधारित होती है। उनके गीतों में झूमर, पावस, उदासी, और फगुआ जैसे त्योहारों और मौसमों की झलक मिलती है।

1985 में उन्होंने ‘कुंजबन संगठन’ की स्थापना की, जहां उन्होंने युवा पीढ़ी को पारंपरिक नागपुरी संगीत की शिक्षा दी। उन्होंने 1992 में ताइपे (विदेश) में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी भाग लिया।

महावीर नायक के प्रसिद्ध राग और गीत

महावीर नायक को विशेष रूप से ‘भिनसरिया कर राजा’ (सुबह का राजा) के लिए जाना जाता है। यह एक ऐसा राग है जो भोर में गाया जाता है। अखरा या मंच पर रातभर नाच-गान के बाद उनकी प्रस्तुति श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देती थी।

उन्होंने 1993 में ‘नागपुरी गीत दर्पण’ नामक पुस्तक प्रकाशित की, जिसमें उनके द्वारा लिखे गए और संकलित किए गए गीत शामिल हैं।

अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मंचों पर पहचान

1980 के दशक से आकाशवाणी और दूरदर्शन से जुड़े रहने के कारण, महावीर नायक ने अपने गीतों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाया। उन्होंने 1000 से अधिक मंचीय प्रस्तुतियां दीं और नागपुरी भाषा और संस्कृति को घर-घर पहुंचाया।

सम्मान और पुरस्कार

महावीर नायक को उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है:

  • लोक कला रत्न पुरस्कार (2014)
  • प्रफुल सम्मान (2019)
  • संगीत नाटक अकादमी अमृत पुरस्कार (2023)

2025 में उन्हें पद्मश्री, भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, प्रदान किया गया।

झारखंड की संस्कृति के संरक्षक

महावीर नायक ने झारखंड की लोक संस्कृति को संरक्षित करने में अभूतपूर्व योगदान दिया है। उन्होंने नागपुरी कवियों जैसे हनुमान सिंह, बरजू राम, और घासी राम महली के कार्यों को जीवंत किया।

उनका मानना है कि आधुनिक नागपुरी संगीत में प्रदूषण आ गया है और इसे शुद्धता की ओर ले जाने की आवश्यकता है।

महावीर नायक का दृष्टिकोण और भविष्य

महावीर नायक चाहते हैं कि झारखंड की क्षेत्रीय भाषाओं और संगीत को वैश्विक स्तर पर पहचान मिले। उन्होंने कहा कि यह सम्मान उनके व्यक्तिगत जीवन का नहीं बल्कि उनकी संस्कृति का सम्मान है।

महावीर नायक झारखंड की धरोहर हैं। उनका योगदान नागपुरी संगीत और संस्कृति के लिए प्रेरणादायक है। पद्मश्री सम्मान उनके जीवन और कार्यों का प्रमाण है।

Subhash Shekhar

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