सुकुरहुटू डोल मेले में लाखों राम भक्तों की उमड़ी आस्था की भीड़, 107 साल पुरानी परंपरा फिर बनी आकर्षण का केंद्र

सुकुरहुटू डोल मेले में लाखों राम भक्तों की उमड़ी आस्था की भीड़

सुकुरहुटू, कांके – श्री श्री महावीर मंडल केंद्रीय पूजा समिति के तत्वावधान में आयोजित 107वें रामनवमी डोल मेले ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि आस्था और परंपरा का मेल, समाज को एकजुट करने का सबसे सशक्त माध्यम होता है। डोल मेला शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ और इसमें लाखों राम भक्तों ने भाग लिया।

मुख्य अतिथि के रूप में कांके क्षेत्र के विधायक सुरेश कुमार बैठा और उद्घाटनकर्ता के रूप में पूर्व सांसद रामटहल चौधरी की उपस्थिति ने आयोजन को गरिमा प्रदान की। कार्यक्रम में विभिन्न दलों के नेताओं और समाजसेवियों की सहभागिता ने इसे एक सर्वदलीय सामाजिक उत्सव में बदल दिया।

महामारी से शुरू हुआ था डोल मेले का इतिहास

मेले के अध्यक्ष हरिनाथ साहू ने बताया कि सुकुरहुटू में डोल मेले की शुरुआत 107 वर्ष पूर्व एक भयंकर महामारी के समय हुई थी। अयोध्या से आए साधु-संतों द्वारा गांव में बाल स्वरूप श्री राम का जन्मोत्सव मनाया गया, जिससे महामारी से मुक्ति मिली। तब से यह परंपरा बिना रुके हर वर्ष निभाई जा रही है।

झांकियों और रोड शो के साथ भव्य श्री राम डोला नगर भ्रमण ने मेले के समापन को यादगार बना दिया। डोल शोभायात्रा ढोल-नगाड़ों, गाजे-बाजे और जय श्रीराम के नारों से गूंज उठा।

खेल प्रतियोगिताओं में दिखा राम भक्तों का शौर्य

अखाड़े में लाठी, तलवार और भाले की प्रतियोगिताओं ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। विजेता खिलाड़ियों को तलवार मोमेंटो और महावीरी झंडा देकर सम्मानित किया गया। पूर्व सांसद रामटहल चौधरी ने सभी विजेताओं को बधाई दी और आयोजकों के प्रयासों की सराहना की।

लोकहित अधिकार पार्टी, जेएलकेएम, कुर्मी विकास परिषद, कांग्रेस, और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने मंच साझा करते हुए रामनवमी की महत्ता पर प्रकाश डाला।

खेल प्रतियोगिताओं में दिखा राम भक्तों का शौर्य
सुकुरहुटू डोल मेले में लाखों राम भक्तों की उमड़ी आस्था की भीड़, 107 साल पुरानी परंपरा फिर बनी आकर्षण का केंद्र 2

सामूहिक प्रयास से सफल हुआ आयोजन

डोल मेला आयोजन को सफल बनाने में हरिनाथ साहू, उपप्रमुख अजय बैठा, थाना प्रभारी सुशील कुमार, जिला परिषद सदस्य सुषमा देवी, मुखिया अनीता मुंडा सहित सैकड़ों पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का सराहनीय योगदान रहा।

मेले में भाग लेने वाले समाजसेवियों और कार्यकर्ताओं की सूची लंबी रही, जिन्होंने दिन-रात मेहनत कर आयोजन को ऐतिहासिक बनाया।

आस्था और परंपरा का जीवंत संगम

सुकुरहुटू का रामनवमी डोल मेला न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह सामाजिक एकता, सांस्कृतिक धरोहर और सामूहिक चेतना का प्रतीक बन चुका है। हर वर्ष यह मेला न केवल कांके, बल्कि पूरे झारखंड के लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनता जा रहा है।

अगले वर्ष एक बार फिर लाखों राम भक्तों की भीड़ और भक्ति से सुकुरहुटू गूंजेगा—ऐसी ही है यह आस्था की परंपरा।

Subhash Shekhar

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