New Delhi: झारखंड सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री कृष्णानंद त्रिपाठी अब राष्ट्रीय एकता को लेकर एक बड़ा अभियान शुरू करने जा रहे हैं। यह अभियान “मगध फाउंडेशन” के अंतर्गत गठित संपूर्ण भारत सुरक्षा मंच के माध्यम से देशभर में चलाया जाएगा। इसकी शुरुआत आज, 18 मई 2025 से की गई है।
श्री त्रिपाठी ने स्पष्ट किया है कि अगर राजनीति उनके राष्ट्रीय एकता मिशन के मार्ग में बाधा बनती है, तो वे देशहित में राजनीति से संन्यास लेने को भी तैयार हैं। वे झारखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माने जाते हैं और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में भी उनका प्रभाव है।
मगध कालीन भारत का सपना और राष्ट्रीय सुरक्षा पर फोकस
मगध फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री त्रिपाठी का कहना है कि वे भारत के प्राचीन गौरवशाली मगध कालीन आदर्शों को फिर से जीवंत करना चाहते हैं। इस उद्देश्य को लेकर ही “राष्ट्रीय एकता अभियान” शुरू किया गया है, जिसका लक्ष्य भारत के प्रत्येक जिले और राज्य में सुरक्षा व एकता की भावना को मजबूत करना है।
उन्होंने यह भी कहा कि देश में केवल राजनीतिक नारे नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर एकता और अखंडता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। त्रिपाठी का मानना है कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता ही भारत की सबसे बड़ी ताकत है।
विदेश नीति और सुरक्षा रणनीति की समीक्षा जरूरी
कृष्णानंद त्रिपाठी ने हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान हुई घटनाओं का उल्लेख करते हुए देश की विदेश नीति, व्यापार नीति और सुरक्षा नीति की गहन समीक्षा की मांग की है। उन्होंने कहा कि भारत को चीन जैसे देशों से अनावश्यक वस्तुओं का आयात रोक देना चाहिए क्योंकि चीन अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान जैसे शत्रु देशों का समर्थन करता है।
उनका कहना है कि हम अपनी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को खतरे में डालकर दुश्मन देशों के उत्पादों को बढ़ावा नहीं दे सकते। ऐसे में राष्ट्रहित सर्वोपरि रखते हुए सख्त नीतियों की जरूरत है।
एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान को संदेश देने पर उठाए सवाल
पूर्व मंत्री ने यह गंभीर सवाल भी उठाया कि भारत द्वारा की गई एयर स्ट्राइक के बाद विदेश मंत्री ने आखिर किस माध्यम से पाकिस्तान को संदेश दिया। उन्होंने कहा कि यह जानना हर भारतीय नागरिक का अधिकार है कि देश की रणनीति और संवाद किस दिशा में जा रहे हैं।
उन्होंने सरकार से इस विषय पर पारदर्शिता की मांग की है, ताकि जनता को पूरी जानकारी मिल सके और किसी तरह की भ्रांति ना फैले।