रांची। झारखंड सरकार अधिवक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण कल्याणकारी पहल करने जा रही है। राज्य के अधिवक्ताओं के समृद्ध भविष्य और स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत कल यानी 3 मई 2025 को की जाएगी। इस योजना का शुभारंभ झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन के कर-कमलों से होगा।
इस विशेष आयोजन के लिए रांची के हरिवंश टाना भगत इंडोर स्टेडियम, खेलगांव को चुना गया है। यह कार्यक्रम पूर्वाह्न 11:30 बजे से शुरू होगा, जिसमें राज्यभर से अधिवक्ताओं के शामिल होने की संभावना है। योजना का उद्देश्य अधिवक्ताओं को स्वास्थ्य संबंधी वित्तीय जोखिम से राहत दिलाना और उनकी सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करना है।
कार्यक्रम की तैयारियों का किया गया निरीक्षण
कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु प्रशासन द्वारा पूरी तत्परता के साथ तैयारी की जा रही है। उपायुक्त-सह-जिला दंडाधिकारी, रांची श्री मंजूनाथ भजंत्री ने शुक्रवार की देर शाम कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने मैदान की सज्जा, बैठने की व्यवस्था, सुरक्षा प्रबंधन और अन्य आवश्यक तैयारियों का गहनता से जायजा लिया।
निरीक्षण के दौरान श्री भजंत्री ने सभी संबंधित पदाधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि अति विशिष्ट अतिथियों, अधिवक्ताओं और आगंतुकों के लिए सभी व्यवस्थाएं सुव्यवस्थित और समय पर पूरी की जाएं।
जिला प्रशासन का मानना है कि यह आयोजन अधिवक्ताओं के सम्मान और कल्याण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। स्वास्थ्य बीमा योजना से अधिवक्ताओं को न केवल आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि उन्हें एक सामाजिक सुरक्षा कवच भी प्राप्त होगा।
अधिवक्ताओं की भागीदारी से कार्यक्रम को मिलेगी नई दिशा
कार्यक्रम में झारखंड बार काउंसिल सहित कई अधिवक्ता संगठनों की भागीदारी भी सुनिश्चित की गई है। मुख्यमंत्री की मौजूदगी इस योजना को और अधिक प्रभावशाली और प्रेरणादायक बनाएगी। इसके साथ ही अधिवक्ताओं को सरकार की योजनाओं से सीधे जोड़ने का प्रयास भी सफल होगा।
सरकार की इस पहल से न सिर्फ अधिवक्ताओं का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नया अध्याय भी शुरू होगा। यह बीमा योजना अधिवक्ताओं और उनके परिवारों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकती है।
झारखंड सरकार द्वारा अधिवक्ताओं के हित में उठाया गया यह कदम उनकी दशकों पुरानी मांगों की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है, जिससे राज्य में न्याय व्यवस्था से जुड़े लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिल सकेगी।