डहरे सोहराय पदयात्रा: रांची में सांस्कृतिक प्रदर्शनी 16 अक्टूबर 2025

डहरे सोहराय पदयात्रा और प्रदर्शनी: झारखंड की मिट्टी से जुड़ने का एक सांस्कृतिक सफर

रांची में 16 अक्टूबर को झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने के उद्देश्य से ‘डहरे सोहराय’ सांस्कृतिक पदयात्रा और प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन झारखंड की जीवंत परंपराओं — कला, संगीत, नृत्य और सामुदायिक जीवन — का भव्य प्रदर्शन होगा।

मोरहाबादी से जयपाल सिंह स्टेडियम तक होगी पदयात्रा

इस कार्यक्रम का शुभारंभ मोरहाबादी मैदान से होगा, जहां प्रतिभागी दोपहर 12 बजे तक पहुंचेंगे। पारंपरिक परिधानों और वाद्ययंत्रों के साथ यह पदयात्रा दोपहर 2 बजे प्रारंभ होगी। जुलूस एसएसपी आवास चौक और रेडियम रोड होते हुए जयपाल सिंह स्टेडियम तक पहुंचेगा। वहां प्रदर्शनी का उद्घाटन किया जाएगा, जो रात 10 बजे तक चलेगी।

इस सांस्कृतिक पदयात्रा में झारखंड के विभिन्न जिलों से हजारों प्रतिभागी, कलाकार और संस्कृति प्रेमी शामिल होंगे। यह आयोजन न केवल एक उत्सव है बल्कि एक आंदोलन है जो राज्य की लोक-धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

सोहराय की आत्मा: प्रकृति और समाज का संगम

‘सोहराय’ पर्व झारखंड की मिट्टी में रचा-बसा एक उत्सव है — जो प्रकृति, पशुपालन, कृषि और सामुदायिक एकता का प्रतीक है। ‘डहरे सोहराय’ कार्यक्रम इसी आत्मा को जीवंत रूप में प्रस्तुत करेगा। पारंपरिक गीत, नृत्य, लोक नाटक और सोहराय की जीवंत झलकियां इस आयोजन की विशेषता होंगी।

कार्यक्रम में ‘सोहराय पेंटिंग’ की भव्य प्रदर्शनी लगाई जाएगी, जिसे जीआई टैग (GI Tag) प्राप्त है। यह सम्मान इस कला को झारखंड की विशिष्ट पहचान के रूप में स्थापित करता है और स्थानीय कलाकारों को संरक्षण का अधिकार देता है।

स्थानीय कलाकारों को मिलेगा मंच

‘डहरे सोहराय’ का एक प्रमुख उद्देश्य स्थानीय कलाकारों को राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंच प्रदान करना है। इससे झारखंड की कला को नई पहचान मिलेगी और युवा कलाकारों को प्रेरणा भी।

इसके साथ ही कार्यक्रम में पारंपरिक वाद्ययंत्र, लोकगीत, हस्तशिल्प और व्यंजन भी प्रदर्शित किए जाएंगे, ताकि आने वाली पीढ़ी अपने सांस्कृतिक मूल से परिचित हो सके।

प्रदर्शनी बनेगी आकर्षण का केंद्र

जयपाल सिंह स्टेडियम में लगने वाली प्रदर्शनी में सोहराय संस्कृति से जुड़े चित्र, वस्त्र, लोकगीत, पारंपरिक उपकरण, नृत्य और खानपान का जीवंत संगम देखने को मिलेगा। यह झारखंड की लोकसंस्कृति का सबसे बड़ा मंच साबित हो सकता है।

प्रदर्शनी का मुख्य संदेश यह है कि झारखंड की संस्कृति केवल अतीत की धरोहर नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य की पहचान भी है।

प्रशासनिक सहयोग और सुरक्षा व्यवस्था तैयार

कार्यक्रम के आयोजकों को प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। जिला प्रशासन ने सुरक्षा, ट्रैफिक और भीड़ प्रबंधन के लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली हैं।

यह आयोजन न केवल एक सांस्कृतिक उत्सव है बल्कि पहचान, परंपरा और एकता का प्रतीक भी है। ‘डहरे सोहराय’ झारखंड की माटी की खुशबू, लोकजीवन की सादगी और सामुदायिक भावना का सशक्त संदेश लेकर आने वाला है।

16 अक्टूबर को रांची की सड़कों पर ‘डहरे सोहराय’ का रंग और रौनक बिखरेगी। यह केवल एक पदयात्रा नहीं, बल्कि झारखंड की आत्मा से संवाद का अवसर होगा, जो हर दिल में यह संदेश देगा — “अपनी संस्कृति को जानो, अपने समाज से जुड़ो।”

Subhash Shekhar

Join WhatsApp

Join Now

Latest Stories

Leave a Comment