Ranchi: 20 सितंबर से शुरू होने जा रहा कुड़मी समाज का “रेल टेका–डहर छेका” आंदोलन रेलवे संचालन पर बड़ा असर डाल सकता है। झारखंड, बंगाल और ओड़िशा में व्यापक अवरोध की आशंका जताई जा रही है। रेलवे सूत्रों के अनुसार, 100 से अधिक ट्रेनों के प्रभावित होने की संभावना है, जबकि चक्रधरपुर मंडल में अकेले 40+ ट्रेनें बाधित हो सकती हैं।
रांची मंडल ने हालांकि अभी किसी ट्रेन को रद्द या डायवर्ट नहीं किया है, लेकिन स्थिति को देखते हुए 40 स्टेशनों पर अतिरिक्त बल और मॉनिटरिंग बढ़ा दी गई है। प्रशासन का कहना है कि फैसले वास्तविक परिस्थितियों के अनुसार लिए जाएंगे।
आंदोलन का असर तीन राज्यों पर
इस आंदोलन का असर झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओड़िशा तीनों राज्यों में पड़ेगा। आंदोलनकारियों की योजना है कि प्रमुख मार्गों पर ट्रेनों को रोका जाए, जिससे लंबी दूरी की सेवाएं बाधित हों। चक्रधरपुर और रांची मंडल ने सुरक्षा को लेकर तात्कालिक नियंत्रण-कक्ष स्थापित कर दिए हैं।
पिछले आंदोलनों में आद्रा और खड़गपुर मंडलों पर लंबे समय तक असर देखा गया था। उस दौरान बड़े पैमाने पर ट्रेनों का रद्दीकरण और डायवर्जन हुआ था। इस बार भी रेलवे ने दोनों मंडलों में सतर्कता और निगरानी बढ़ाई है।
कितनी ट्रेनें होंगी प्रभावित?
रेलवे सूत्रों का अनुमान है कि कुल 100 से अधिक ट्रेनों पर सीधा असर पड़ सकता है। चक्रधरपुर मंडल में खासकर हावड़ा–मुंबई, ओड़िशा–दिल्ली और टाटानगर से बिहार व यूपी जाने वाली ट्रेनें मुख्य रूप से प्रभावित हो सकती हैं।
धनबाद मंडल में प्रधानखंटा, पारसनाथ और चंद्रपुरा जैसे महत्वपूर्ण जंक्शन पर रोक की योजना है। इससे पूर्व–पश्चिम कनेक्टिविटी पर गंभीर असर पड़ सकता है।
प्रमुख अवरोध बिंदु
चक्रधरपुर मंडल के गम्हरिया, सीनी, कांड्रा, बृजराजपुर, सोनुवा, मनोहरपुर, जराईकेला और बिसरा जैसे स्टेशन आंदोलन का केंद्र बन सकते हैं। वहीं टाटानगर–खड़गपुर सेक्शन में चाकुलिया, गलूडीह और कोकपाड़ा पर अवरोध की तैयारी बताई जा रही है।
रांची मंडल में मूरी, टाटीसिलवे, मेसरा, राय, खलारी, बड़काकाना, गोला, जगेेश्वर बिहार, चंद्रपुरा, प्रधानखंटा और पारसनाथ जैसे 40 स्टेशनों पर नजर रखी जा रही है।
सुरक्षा और निगरानी की तैयारी
रेलवे और जिला प्रशासन ने आंदोलन को देखते हुए अतिरिक्त बल की तैनाती की है। कई क्षेत्रों में धारा 144 जैसे निषेधाज्ञा प्रावधान लागू किए गए हैं। रांची मंडल ने रीयल-टाइम मॉनिटरिंग शुरू कर दी है और कंट्रोल-रूम से सीधा अलर्ट भेजा जा रहा है।
चक्रधरपुर में आरपीएफ और जीआरपी पूरी तरह अलर्ट मोड पर हैं। संभावित स्टेशनों की सूची तैयार कर दी गई है और वहां ड्रोन व सीसीटीवी के माध्यम से निगरानी की व्यवस्था की जा रही है।
अंतिम निर्णय मैदानी स्थिति पर
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि व्यापक स्तर पर रोक की स्थिति में संचालन-योजना बदलनी पड़ सकती है। प्रभावित मार्गों पर ट्रेनों को डायवर्ट करने या अस्थायी रूप से रोकने का विकल्प तैयार है। अंतिम निर्णय आंदोलन की तीव्रता और स्थानीय हालात को देखकर ही लिया जाएगा।
कुड़मी समाज का यह आंदोलन एक बार फिर से रेल यातायात पर बड़ा संकट खड़ा कर रहा है। आने वाले दिनों में लाखों यात्रियों को असुविधा झेलनी पड़ सकती है।








