रांची: झारखंड की सत्ता में काबिज झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का दो दिवसीय केंद्रीय महाधिवेशन राजधानी रांची के खेलगांव स्थित हरिवंश टाना भगत इंडोर स्टेडियम में शुरू हो चुका है। इस महाधिवेशन में झारखंड समेत आठ से अधिक राज्यों से प्रतिनिधियों ने शिरकत की।
महाधिवेशन के पहले दिन वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी द्वारा प्रस्तुत 16 सूत्रीय राजनीतिक प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। पार्टी के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने जानकारी दी कि झामुमो अब राष्ट्रीय स्वरूप की ओर अग्रसर है और आने वाले समय में दिल्ली में पार्टी का संपर्क कार्यालय खोला जाएगा।

शिबू सोरेन बन सकते हैं झामुमो संरक्षक
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष और पार्टी के संस्थापक शिबू सोरेन के खराब स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें मार्गदर्शक की भूमिका दी जा सकती है। संभव है कि पार्टी संविधान में बदलाव कर “संस्थापक संरक्षक” का पद सृजित किया जाए। आज हेमंत सोरेन ने खुद व्हीलचेयर पर शिबू सोरेन और रूपी सोरेन को कार्यक्रम स्थल तक पहुँचाया, जिससे संकेत मिलता है कि पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी का हस्तांतरण तय है।
रांची में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के 13वें महाधिवेशन कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर संबोधन…
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) April 14, 2025
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ज़िंदाबाद!
जय झारखण्ड!🏹 pic.twitter.com/FAbnRq8BIp
दूसरे दिन होगा केंद्रीय समिति का गठन
महाधिवेशन के दूसरे दिन पार्टी की केंद्रीय समिति का गठन किया जाएगा, जो कार्यकारिणी समिति, केंद्रीय अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों का चयन करेगी। राज्यसभा सांसद सरफराज अहमद ने भी महाधिवेशन की अहमियत बताते हुए वक्फ कानून में संशोधन के खिलाफ पार्टी की एकजुटता को दोहराया।
राष्ट्रीय राजनीति में झामुमो का विस्तार
झामुमो ने स्पष्ट किया है कि वह भाजपा और केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगा। पार्टी अब राष्ट्रीय आकार ग्रहण करना चाहती है और इसके लिए दिल्ली में कार्यालय की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा बिहार के कई जिलों जैसे जमुई, भागलपुर, कटिहार, आदि में पार्टी संगठन को मजबूत किया जाएगा।
असम के चाय बागान क्षेत्र, पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम, पुरुलिया, बांकुड़ा जैसे जिलों और ओडिशा के मयूरभंज व सुंदरगढ़ जिलों में भी झामुमो की सक्रियता बढ़ेगी। इन क्षेत्रों में आदिवासियों को संगठित कर राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने का लक्ष्य है।

सामाजिक न्याय और पहचान की लड़ाई को मिला स्थान
महाधिवेशन में जातिगत जनगणना, सरना धर्म कोड की मान्यता और स्थानीय युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता देने जैसे मुद्दों को प्रस्ताव में स्थान दिया गया। झामुमो ने 100% जिला स्तरीय नौकरियों में स्थानीय लोगों की हिस्सेदारी की मांग दोहराई है।
साथ ही विस्थापन, पलायन और जल-जंगल-जमीन से जुड़े अधिकारों की रक्षा के लिए संवैधानिक आयोग की स्थापना की मांग भी रखी गई है। अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण को अटल बताते हुए इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग उठाई गई।
रांची में चल रहा झामुमो का महाधिवेशन न केवल पार्टी नेतृत्व में बदलाव का संकेत दे रहा है, बल्कि यह झामुमो की राष्ट्रीय राजनीति में मजबूती से उतरने की रणनीति का भी हिस्सा है। आने वाले दिनों में दिल्ली से लेकर पूर्वोत्तर राज्यों तक झामुमो की सियासी गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है।