बांग्लादेश की नई करेंसी में दिखाई देंगे हिंदू और बौद्ध मंदिर

बांग्लादेश की नई करेंसी में दिखाई देंगे हिंदू और बौद्ध मंदिर

नई दिल्ली: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जिसकी अगुवाई नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं, लगातार बड़े और ऐतिहासिक फैसलों को अंजाम दे रही है। इसी कड़ी में एक और अहम फैसला सामने आया है। अब देश की नई मुद्रा पर न तो किसी राजनीतिक चेहरे की तस्वीर होगी और न ही कोई राजनीतिक प्रतीक, बल्कि इसमें धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों को दर्शाया जाएगा।

1 जून को बांग्लादेश के सेंट्रल बैंक ने नौ नए मूल्यवर्गों के करेंसी नोट जारी किए हैं। इनमें हिंदू और बौद्ध मंदिरों की झलक देखने को मिलेगी। यह बदलाव देश की छवि को सांस्कृतिक दृष्टिकोण से मजबूती देने के रूप में देखा जा रहा है।

शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीरें हटाईं, पुरानी करेंसी प्रचलन में रहेंगी

बता दें कि अब तक बांग्लादेश के प्रत्येक करेंसी नोट पर देश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर मौजूद रहती थी। मुजीब, जिन्हें ‘बंगबंधु’ के नाम से भी जाना जाता है, ने 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश को स्वतंत्र कराया था। 1975 में सैन्य तख्तापलट के दौरान उनकी हत्या कर दी गई थी।

अब सरकार ने एक नई नीति के तहत करेंसी नोटों से मानव चेहरों को हटाने का निर्णय लिया है। इसके बावजूद, पहले से प्रचलन में मौजूद शेख मुजीबुर रहमान वाले नोट और सिक्के चलन में बने रहेंगे।

धार्मिक स्थलों को दिया गया नया स्थान

नए नोटों में बांग्लादेश की प्रसिद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों, जैसे हिंदू मंदिर और बौद्ध विहारों की तस्वीरों को शामिल किया गया है। इसके अलावा देश के प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटक स्थलों को भी दिखाया गया है।

यह फैसला न केवल धार्मिक विविधता को सम्मान देने वाला है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि बांग्लादेश अब अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्वरूप को वैश्विक स्तर पर प्रमुखता देना चाहता है।

चरणबद्ध तरीके से होगा नोटों का वितरण

फिलहाल ये नए नोट केवल बांग्लादेश के सेंट्रल बैंक से ही जारी किए जा रहे हैं। बैंक के अधिकारियों के अनुसार, आने वाले हफ्तों में इन्हें अन्य बैंकों के जरिए भी जनता तक पहुंचाया जाएगा। यह कदम धीरे-धीरे देश की समूची मुद्रा प्रणाली को नई पहचान देगा।

ध्यान देने वाली बात यह है कि यह बदलाव अचानक नहीं आया है। स्वतंत्रता के शुरुआती वर्षों में भी बांग्लादेशी करेंसी पर देश के नक्शे और प्राकृतिक दृश्य छपते थे। लेकिन बाद में राजनीतिक नेतृत्व को महत्व देने के लिए चेहरे दर्शाए जाने लगे।

सांस्कृतिक समरसता की ओर एक सकारात्मक कदम

बांग्लादेश का यह फैसला न केवल मुद्रा के स्वरूप को तटस्थ और समावेशी बना रहा है, बल्कि देश के धार्मिक सह-अस्तित्व और विविधता को भी सम्मान दे रहा है। हिंदू और बौद्ध समुदायों की सांस्कृतिक पहचान को करेंसी पर स्थान देना एक ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या इस फैसले को जनता और राजनीतिक दलों से व्यापक समर्थन मिलता है या नहीं। परंतु यह तय है कि बांग्लादेश की नई करेंसी विश्व में एक अलग पहचान बनाने जा रही है।

Subhash Shekhar

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