Ranchi: झारखंड में शराब ब्रांड की अनुपलब्धता ने अब गंभीर रूप ले लिया है। इस मुद्दे को लेकर झारखंड शराब व्यापारी संघ ने राज्य सरकार और उत्पाद मंत्री का ध्यान आकर्षित किया है। संघ का कहना है कि झारखंड स्टेट बेवरेजेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (JSBCL) की प्रणाली पूरी तरह असफल हो चुकी है और इससे न केवल उपभोक्ता बल्कि राज्य सरकार भी घाटे में है।
2013 में जेएसबीसीएल के गठन के बाद सरकार ने शराब के थोक वितरण और बिक्री की जिम्मेदारी इसी निगम को दी। शुरुआती वर्षों से ही इस व्यवस्था में गड़बड़ियां सामने आने लगीं। आरोप है कि निगम को जो राजस्व मिलना चाहिए था, वह पूरी तरह प्राप्त नहीं हुआ और बिक्री से अर्जित राशि का पूरा हिसाब सरकार तक नहीं पहुँच पाया।
शराब की ब्रांड अनुपलब्धता बनी बड़ी समस्या
पिछले कुछ महीनों में राज्य के कई हिस्सों में शराब की प्रमुख ब्रांड्स नहीं मिल रही हैं। संघ का कहना है कि 19(C) प्रणाली को समाप्त कर दिए जाने के बाद यह स्थिति और भी बिगड़ गई है। इससे कानूनी व्यापार ठप पड़ने लगा है और उपभोक्ता परेशान हो रहे हैं।
व्यापारियों का मानना है कि जेएसबीसीएल के माध्यम से शराब की बिक्री में पारदर्शिता का अभाव है। इससे न केवल ब्रांड की उपलब्धता में दिक्कत हो रही है बल्कि कई डीलरों को भी उचित लाभ नहीं मिल रहा। यह परिस्थिति राज्य के शराब कारोबार को प्रभावित कर रही है और सरकार के राजस्व में भी कमी ला रही है।
संघ ने उठाई एक्साइज विभाग में लाने की मांग
संघ ने साफ शब्दों में कहा है कि अब समय आ गया है कि सरकार शराब वितरण व्यवस्था को पूरी तरह से बदलने पर विचार करे। उन्होंने मांग की है कि वितरकों को सीधे एक्साइज विभाग के अंतर्गत लाइसेंस प्रदान किया जाए। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी, ब्रांड्स की उपलब्धता सुधरेगी और सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होगा।
संघ के महासचिव सुबोध कुमार जयसवाल ने बताया कि अगर यह मांग पूरी की जाती है तो शराब व्यापार में निष्पक्षता आएगी और राज्य के हित में निर्णय लिया जा सकेगा। साथ ही उपभोक्ताओं को उनकी पसंद की ब्रांड समय पर उपलब्ध हो सकेगी, जिससे अवैध बिक्री पर भी रोक लगेगी।
जेएसबीसीएल पर उठे सवाल
संघ ने यह भी आरोप लगाया कि 2022 में जब फिर से जेएसबीसीएल को जिम्मेदारी सौंपी गई, तब से स्थिति और खराब हुई है। एफआईआर भी दर्ज की गई, लेकिन समाधान अब तक नहीं निकला है। इससे स्पष्ट है कि यह व्यवस्था अब राज्य के हित में नहीं है।
झारखंड शराब व्यापारी संघ ने सरकार से अपील की है कि वे इस विषय पर शीघ्र कार्रवाई करें और एक्साइज विभाग को पुनः शराब वितरण का जिम्मा सौंपें, जिससे एक स्थायी और पारदर्शी व्यवस्था कायम हो सके।
संघ की यह मांग न केवल ब्रांड की उपलब्धता और पारदर्शिता को लेकर है, बल्कि राज्य सरकार के आर्थिक हितों से भी जुड़ी है। देखना यह होगा कि उत्पाद मंत्री इस पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या झारखंड में शराब व्यापार को एक बार फिर नई दिशा मिल पाएगी।
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