जेपीएससी घोटाले में अदालत की चौखट पर पहुंचे आरोपी, अग्रिम जमानत की लगाई गुहार

जेपीएससी घोटाले में अदालत की चौखट पर पहुंचे आरोपी, अग्रिम जमानत की लगाई गुहार

जेपीएससी घोटाले में फंसे अभियुक्तों ने अदालती प्रक्रिया की ओर तेज़ी से कदम बढ़ाए हैं। झारखंड लोक सेवा आयोग की द्वितीय सिविल सेवा नियुक्ति में हुए बहुचर्चित घोटाले के सिलसिले में 40 से अधिक आरोपियों ने सीबीआई की विशेष अदालत में अग्रिम जमानत के लिए याचिकाएं दाखिल की हैं।

सीबीआई की विशेष अदालत में मंगलवार को करीब तीन दर्जन याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इससे पहले अदालत ने मामले में कुल 64 आरोपियों के खिलाफ समन जारी कर दिया था। इन सभी पर भ्रष्टाचार, फर्जीवाड़ा और नियमों की अनदेखी कर नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी करने के गंभीर आरोप हैं।

चार्जशीट के बाद बढ़ी अभियुक्तों की चिंता

इस मामले में सीबीआई ने झारखंड हाईकोर्ट के निर्देश पर 12 वर्षों बाद चार्जशीट दाखिल की थी। यह कार्रवाई बीते अक्टूबर महीने में हुई, जब जांच एजेंसी ने कोर्ट में पूरी रिपोर्ट पेश की। इसके बाद अदालत ने 7 मार्च को 64 अभियुक्तों के खिलाफ संज्ञान लिया और समन जारी कर दिए।

चार्जशीट में नामजद आरोपियों में से कई अब उच्च पदों पर कार्यरत हैं। इनमें कुछ डीएसपी से प्रोन्नत होकर एसपी बन चुके हैं और जिला स्तर पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। आरोपियों को डर है कि गिरफ्तारी की तलवार किसी भी वक्त लटक सकती है, इसलिए उन्होंने अग्रिम राहत के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

इन चर्चित नामों ने मांगी अग्रिम जमानत

जिन प्रमुख आरोपियों ने अग्रिम जमानत की मांग की है, उनमें मौसमी नागेश, राम कृष्ण कुमार, राधा प्रेम किशोर, संगीता कुमारी, विकास कुमार पांडे, अरविंद कुमार सिंह, डॉ. दीनानाथ सिंह, मुनिंद्र तिवारी, शिव बहादुर सिंह, डॉ. योगेंद्र सिंह, डॉ. ओंकार नाथ सिंह और डॉ. सुधीर कुमार शुक्ला जैसे कई चर्चित नाम शामिल हैं।

इसके अलावा डॉ. अशोक कुमार सिंह, डॉ. मिथिलेश कुमार सिंह, डॉ. बंशीधर पांडे, महेंद्र मोहन वर्मा, डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह, संतोष कुमार चौधरी, राजीव कुमार सिंह, प्रकाश कुमार और राहुल आनंद जी जैसे अफसरों ने भी अग्रिम राहत की अर्जी दी है।

कोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी निगाहें

अब सभी की नजरें विशेष अदालत की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जिसमें यह तय होगा कि किसे राहत मिलेगी और किसे हिरासत में लिया जाएगा। सीबीआई ने इस केस में पहले ही पर्याप्त साक्ष्य जुटाकर अदालत में पेश किए हैं, जिससे आरोपियों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

जेपीएससी नियुक्ति घोटाले ने झारखंड की प्रशासनिक व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस केस में अदालती फैसले से यह तय होगा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार और न्यायपालिका कितनी सख्ती से कार्रवाई करती है।

Subhash Shekhar

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