मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने युवाओं के साथ फिर किया विश्वासघात: बाबूलाल मरांडी का आरोप

रांची (RANCHI): झारखंड में एक बार फिर प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा आयोजित की जाने वाली विशिष्ट एवं तकनीकी योग्यताधारी संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा को अचानक रद्द कर देने के बाद राजनीति गरमा गई है।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि “मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने युवाओं के साथ एक बार फिर विश्वासघात किया है।

परीक्षा रद्द होने पर मरांडी का हमला

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आज झारखंड के हजारों युवा इस परीक्षा में शामिल होने के लिए तैयारी कर चुके थे। कई उम्मीदवार राज्य के अलग-अलग जिलों से परीक्षा केंद्रों तक पहुंचे थे, लेकिन परीक्षा से ठीक एक दिन पहले तकनीकी खामियों का हवाला देकर परीक्षा को स्थगित कर दिया गया।

उन्होंने सवाल उठाया कि “क्या हेमंत सोरेन जी के दिल्ली में होने की वजह से तकनीकी सेटिंग पूरी नहीं हो पाई, या फिर कोई और वजह छिपाई जा रही है?”
मरांडी ने कहा कि इसका आर्थिक और मानसिक नुकसान केवल अभ्यर्थियों को हुआ है, जो महीनों से तैयारी कर रहे थे और अब निराशा का सामना कर रहे हैं।

“युवाओं के साथ षड्यंत्र हो रहा है”

नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि पिछले छह सालों से झारखंड की युवाशक्ति हेमंत सरकार की नीतियों की मार झेल रही है। उन्होंने कहा —
“पहले पेपर लीक कर युवाओं के करियर के साथ खिलवाड़ किया गया और अब तकनीकी बहाने बनाकर उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया जा रहा है। सरकार युवाओं के भविष्य को नष्ट करने पर तुली हुई है।”

मरांडी ने यह भी कहा कि बार-बार परीक्षा रद्द होने से राज्य में प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।

तत्काल परीक्षा आयोजित करने की मांग

बाबूलाल मरांडी ने सरकार से मांग की कि तकनीकी खामियों को तुरंत दूर किया जाए और जल्द से जल्द पारदर्शी ढंग से परीक्षा का आयोजन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि परीक्षा केंद्र तक पहुंचने में जिन युवाओं को आर्थिक नुकसान हुआ है, उसका खर्च राज्य सरकार को वहन करना चाहिए।

उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार इस मामले में गंभीर नहीं हुई तो भाजपा सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगी।

युवा वर्ग में बढ़ा आक्रोश

परीक्षा रद्द होने से पूरे राज्य में प्रतियोगी अभ्यर्थियों में गहरा असंतोष है। कई अभ्यर्थियों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि हर बार “तकनीकी खामी” का बहाना बनाकर परीक्षा टाल दी जाती है, जबकि तैयारी करने वाले छात्रों का कोई सुनने वाला नहीं है।

झारखंड में रोजगार और भर्ती परीक्षाओं को लेकर पहले भी विवाद उठ चुके हैं। पेपर लीक और भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच अब इस परीक्षा के रद्द होने ने युवाओं के धैर्य की परीक्षा ले ली है।

झारखंड में लगातार रद्द होती प्रतियोगी परीक्षाओं ने राज्य की प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार तकनीकी कारणों का हवाला दे रही है, वहीं विपक्ष इसे “युवाओं के साथ विश्वासघात” बता रहा है।

अब देखना यह होगा कि सरकार कितनी जल्दी पारदर्शी ढंग से परीक्षा दोबारा आयोजित कर पाती है या यह विवाद भी अन्य अधूरी वादों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

Subhash Shekhar

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