झारखंड शराब घोटाला: 13 जिलों से करोड़ों गायब, जांच की मांग तेज

झारखंड शराब घोटाला: 13 जिलों से करोड़ों गायब, जांच की मांग तेज

रांची: झारखंड में शराब दुकानों से जुड़ी अनियमितताओं को लेकर नया बवाल खड़ा हो गया है। झारखंड शराब व्यापारी संघ ने सरकार और झारखंड स्टेट बेवरेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (JSBCL) से बीते तीन वर्षों की शराब दुकानों की ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की है।

संघ का कहना है कि अब तक करीब 1453 दुकानों की ऑडिट रिपोर्ट नहीं जारी की गई है, जिससे घोटाले की आशंका को बल मिल रहा है। रिपोर्ट न आने से शराब बिक्री, स्टॉक और बैंक में राशि जमा होने के आंकड़ों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

JSBCL और प्लेसमेंट एजेंसियों की भूमिका पर उठे सवाल

संघ ने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया है कि रिटेल दुकानों पर हुई कुल बिलिंग, बिक्री और बैंक खाते में जमा रकम में भारी अंतर है। उन्होंने यह भी पूछा कि दुकानों का ओपनिंग और क्लोजिंग स्टॉक क्या है और कितना नुकसान हुआ है।

प्लेसमेंट एजेंसियों पर भी सीधा आरोप लगाया गया है कि उन्होंने शराब चोरी और वित्तीय हेराफेरी की, लेकिन विभाग ने उनके खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की।

बताया गया है कि कई एजेंसियों ने बैंक गारंटी से अधिक पैसा निकाल लिया, फिर भी वे विभागीय कार्रवाई से बचे रहे।

शराब बिक्री का गमन: 13 जिलों में करोड़ों का हिसाब गायब

संघ ने 13 जिलों का विस्तृत आंकड़ा पेश करते हुए कहा कि अगर शराब की सही तरीके से ऑडिट हो — मतलब हर बोतल का हिसाब — तो करोड़ों रुपये के गबन की बात सामने आ सकती है।

अब तक जो अनुमान सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं:

  • धनबाद: ₹55 करोड़
  • जमशेदपुर: ₹65 करोड़
  • पलामू: ₹45 करोड़
  • हजारीबाग: ₹35 करोड़
  • बोकारो: ₹45 करोड़
  • रांची: ₹32 करोड़
  • रामगढ़: ₹6 करोड़
  • खूंटी: ₹8 करोड़
  • गिरिडीह: ₹7 करोड़
  • देवघर: ₹8 करोड़
  • संथाल: ₹6 करोड़
  • चाईबासा: ₹9 करोड़
  • सरायकेला: ₹7 करोड़

सेल्समैन को 8 महीने से वेतन नहीं! जिम्मेदार कौन?

संघ ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि राज्य भर में काम कर रहे शराब दुकानों के सेल्समैन को बीते 8 महीनों से वेतन नहीं मिला है।

यह सवाल खड़ा करता है कि जब शराब की बिक्री हो रही है और सरकार को राजस्व मिल रहा है, तब फ्रंटलाइन कर्मचारियों को भुगतान क्यों नहीं हो पा रहा है?

दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं?

संघ ने बताया कि जिन अधिकारियों की जिम्मेदारी थी कि वे ऑडिट रिपोर्ट तैयार कर पारदर्शिता लाएं, उन पर भी अब तक कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई है। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।

संघ ने सरकार से मांग की है कि इस पूरे मामले की स्वतंत्र एजेंसी या जिला मजिस्ट्रेट की निगरानी में निष्पक्ष जांच हो।

उत्पाद आयुक्त से पारदर्शिता सुनिश्चित करने की अपील

संघ के महासचिव सुबोध कुमार जयसवाल ने वर्तमान उत्पाद आयुक्त से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की है। उनका कहना है कि जब तक पूरी सच्चाई सामने नहीं आती, जनता का विश्वास और राज्य की राजस्व व्यवस्था दोनों खतरे में हैं।

अब सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाकर दोषियों को सजा दिलाए और सिस्टम में पारदर्शिता बहाल करे।

Subhash Shekhar

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