Ranchi: राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग गुप्ता का वेतन एक प्रशासनिक टकराव का केंद्र बन गया है। मई महीने की सैलरी उन्हें अब तक नहीं मिली है, जिससे उनकी सेवा स्थिति पर केंद्र और राज्य सरकार के बीच मतभेद गहराते दिख रहे हैं।
डीजीपी कार्यालय के निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी (डीडीओ) ने मई माह के लिए वेतन बिल ट्रेजरी को नहीं भेजा है। यही नहीं, प्रोजेक्ट भवन स्थित कोषागार ने भी वेतन भुगतान से संबंधित कोई फाइल आगे नहीं बढ़ाई है। नतीजतन, डीजीपी के मई के वेतन पर संशय बरकरार है।
सेवामुक्त मानने पर अड़ा है केंद्र, राज्य दे रहा है चुनौती
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 22 अप्रैल को राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा कि 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता की सेवानिवृत्ति की आयु 30 अप्रैल 2025 को पूरी हो चुकी है। पत्र में यह भी स्पष्ट निर्देश दिया गया कि उनकी सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त की जाए।
इसके विपरीत, राज्य सरकार अनुराग गुप्ता को सेवा में बनाए रखने पर अडिग है। राज्य प्रशासन विभिन्न नियमों और कानूनी प्रावधानों का हवाला देकर उन्हें डीजीपी के पद पर यथावत बनाए हुए है। इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य के बीच लगातार पत्राचार जारी है।
राज्य के प्रधान महालेखाकार कार्यालय ने भी अनुराग गुप्ता का सेवाकाल 30 अप्रैल को समाप्त मानते हुए एक मई से उनका वेतन शून्य कर दिया है। यही कारण है कि मई माह की सैलरी जारी नहीं हो सकी है।
डीजीपी पद पर बना रहना राज्य का फैसला, लेकिन सैलरी अटकी
राज्य सरकार ने केंद्र के आदेश को चुनौती दी है और अनुराग गुप्ता को डीजीपी के पद पर बरकरार रखा है। हालांकि, वित्तीय प्रक्रिया केंद्र के रुख से प्रभावित हो रही है। बिना स्पष्टता के, डीडीओ भी वेतन बिल आगे नहीं बढ़ा रहे हैं, जिससे अधिकारी को निजी स्तर पर असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि अगर यह विवाद जल्द नहीं सुलझा, तो यह एक संवैधानिक टकराव का रूप ले सकता है। केंद्र और राज्य के बीच यह खींचतान अधिकारियों की कार्य स्थिति और वेतन संबंधी प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकती है।
फिलहाल, अनुराग गुप्ता के मई महीने का वेतन रुक गया है और उनकी सेवा की वैधता पर कानूनी और राजनीतिक लड़ाई जारी है। अधिकारी वर्ग और प्रशासनिक विशेषज्ञ इस घटनाक्रम को गहराई से देख रहे हैं, क्योंकि यह मामला आने वाले समय में एक मिसाल बन सकता है।