रांची: महाभारत के ‘अर्जुन’ के रूप में घर-घर में पहचान बना चुके अभिनेता फिरोज़ खान का झारखंड दौरा सिर्फ एक आम यात्रा नहीं, बल्कि दिल से जुड़ा एक सफर साबित हुआ। उन्होंने यहां न सिर्फ शूटिंग की, बल्कि कलाकारों की पीड़ा भी महसूस की और उनके लिए आवाज़ उठाई।
धनबाद में फिल्म की शूटिंग के बाद जब फिरोज़ खान रांची पहुंचे, तो उन्होंने जेडी ज्वेलर्स के मालिक से मिलकर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश की। एक मुस्लिम अफरीदी पठान और एक हिंदू सोनार के रिश्ते को ‘दिल का रिश्ता’ बताया।
कलाकारों को चाहिए मंच, दिलों को चाहिए अपनापन
फिरोज़ खान ने साफ कहा कि झारखंड में टैलेंट की कोई कमी नहीं है, लेकिन यहां के युवाओं को पिछले 25 वर्षों में उचित मंच नहीं मिल पाया। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि स्थानीय निर्माता-निर्देशक और कलाकारों को मौका मिले, तो झारखंड की अपनी फिल्म इंडस्ट्री बन सकती है।
उन्होंने रांची और धनबाद जैसे शहरों में फिल्म निर्माण को बढ़ावा देने की अपील की और यह भी कहा कि वे अपनी फिल्मों में झारखंड के कलाकारों के साथ काम करने को गर्व की बात मानते हैं।
‘अर्जुन’ से आगे, ‘फिरोज़’ की इंसानियत का संदेश
फिरोज़ खान ने अपने किरदार ‘अर्जुन’ से आगे बढ़ते हुए आज के युवाओं के लिए एक गहरी बात कही—धर्म नहीं, इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने कहा कि जब कोई मां बच्चे को जन्म देती है, तो वह किसी मजहब से नहीं जुड़ी होती।
उनका स्पष्ट संदेश था कि धार्मिक उन्माद फैलाने वाले लोग देश की जड़ों को खोखला कर रहे हैं और युवाओं को चाहिए कि वे प्रेम और सम्मान की राह अपनाएं।
झारखंड से मिला प्रेम, याद रहेगा उम्र भर
फिरोज़ खान ने झारखंड के लोगों को दिल से धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि धनबाद और रांची में उन्हें जो प्यार मिला, वह कहीं और नहीं मिला। उन्होंने यह वादा भी किया कि अगर यहां की फिल्म इंडस्ट्री उन्हें बुलाए, तो वे निःस्वार्थ भाव से साथ देंगे।
उनका कहना था, “अगर आप प्यार से बुलाएंगे, तो अर्जुन हमेशा आपके साथ खड़ा मिलेगा।”
एक अभिनेता, एक विचार, एक वादा
फिरोज़ खान सिर्फ एक टीवी स्टार नहीं, बल्कि भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब के प्रतीक हैं। झारखंड के कलाकारों को मंच दिलाने की उनकी पहल उम्मीद जगाती है। उन्होंने भाईचारे, कला और इंसानियत की जो लौ जलाई है, वह आने वाले समय में कई दिलों को रोशन करेगी।