Ranchi: गणतंत्र दिवस 2025 के अवसर पर दिल्ली में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय समारोह में झारखंड की झांकी एक विशेष संदेश लेकर आएगी। इस वर्ष झांकी में स्वर्गीय रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने के साथ ही राज्य की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं की झलक प्रस्तुत की जाएगी।
झारखंड की झांकी: सांस्कृतिक धरोहर और नारी शक्ति का प्रदर्शन
झारखंड ने इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिए अपनी तैयारी पूरी कर ली है। झांकी में राज्य के पारंपरिक नृत्य, तसर सिल्क की विरासत, और शिक्षा के क्षेत्र में नारी शक्ति के बढ़ते कदमों को प्रमुखता से दर्शाया जाएगा। इसके साथ ही स्वर्गीय रतन टाटा के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी, जिन्होंने झारखंड में औद्योगिक और सामाजिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
झारखंड की झांकी का ऐतिहासिक महत्व
वर्ष 2024 में झारखंड ने तसर सिल्क पर आधारित झांकी के माध्यम से देश को अपनी अनूठी सांस्कृतिक पहचान से परिचित कराया था। इस बार झांकी में न केवल राज्य की समृद्ध परंपराओं को दर्शाया जाएगा, बल्कि रतन टाटा जैसे महान हस्ती के योगदान को भी रेखांकित किया जाएगा। यह झांकी झारखंड की धरोहर और आधुनिकता के संतुलन का प्रतीक होगी।
रतन टाटा: झारखंड के विकास के प्रेरणास्रोत
स्वर्गीय रतन टाटा को झारखंड की झांकी में शामिल करना राज्य के प्रति उनकी सेवाओं को सम्मानित करने का प्रयास है। उन्होंने झारखंड में रोजगार, शिक्षा और सामाजिक विकास के क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाए। उनकी सोच और दूरदृष्टि ने राज्य को औद्योगिक और आर्थिक प्रगति के मार्ग पर अग्रसर किया।
नारी शक्ति और पारंपरिक नृत्य पर फोकस
झारखंड की झांकी में नारी शक्ति को शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए प्रमुखता दी गई है। इसके साथ ही पारंपरिक नृत्य और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाने के लिए रंग-बिरंगे परिधान और जीवंत प्रदर्शन झांकी का मुख्य आकर्षण रहेंगे। यह झांकी झारखंड की सांस्कृतिक विविधता और महिलाओं की प्रगति को राष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित करेगी।
झारखंड की झांकी: गौरव का प्रतीक
गणतंत्र दिवस 2025 पर झारखंड की झांकी न केवल राज्य की संस्कृति और विकास की कहानी कहेगी, बल्कि स्वर्गीय रतन टाटा के प्रति आभार प्रकट करने का एक अनोखा प्रयास भी होगी। झारखंड के लोग इस झांकी के माध्यम से अपनी समृद्ध धरोहर और भविष्य की संभावनाओं को गर्व के साथ प्रस्तुत करेंगे।