झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है, जो शनिवार शाम को समाप्त हो गया। आगामी समय में राज्य में कई महत्वपूर्ण परीक्षाओं का आयोजन होना है, जिनमें 8वीं, 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं शामिल हैं। इसके अलावा मेडिकल, इंजीनियरिंग और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षाओं के साथ-साथ छात्रवृत्ति परीक्षाएं भी आयोजित की जानी हैं। इन सभी परीक्षाओं के सफल संचालन के लिए जैक के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की भूमिका अनिवार्य है।
जैक के नेतृत्व का महत्व और मौजूदा संकट
जैक बोर्ड का कार्यक्षेत्र व्यापक है और यह राज्य की सभी शैक्षणिक परीक्षाओं के संचालन, प्रश्न पत्रों के निर्माण, प्रिंटिंग और अन्य गोपनीय प्रक्रियाओं की देखरेख करता है। जैक बोर्ड के बिना महत्वपूर्ण निर्णय लेना संभव नहीं है। बोर्ड में तीन विधायक सदस्य भी होते हैं, लेकिन ये पद पिछले तीन माह से खाली हैं।
रेगुलेशन के तहत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का दायित्व
जैक बोर्ड के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष परीक्षाओं से जुड़े गोपनीय कार्यों की निगरानी करते हैं। प्रश्न पत्र सेट करना, परीक्षा केंद्र तय करना, और परीक्षा परिणाम घोषित करना उनकी देखरेख में होता है। इन पदों पर नियुक्ति के बिना परीक्षा संचालन में विलंब और दिक्कतें आ सकती हैं।
आगामी परीक्षाओं पर संकट का असर
1. 8वीं बोर्ड परीक्षा
झारखंड बोर्ड की 8वीं परीक्षा 28 जनवरी को आयोजित होगी। इस परीक्षा में राज्य भर के 5,18,002 विद्यार्थी शामिल होंगे। परीक्षा के लिए केंद्रों की व्यवस्था और निगरानी महत्वपूर्ण है।
2. 9वीं बोर्ड परीक्षा
9वीं बोर्ड परीक्षा 29 और 30 जनवरी को आयोजित की जाएगी, जिसमें 4,77,096 विद्यार्थी परीक्षा देंगे।
3. 11वीं बोर्ड परीक्षा
11वीं की बोर्ड परीक्षा 6 मार्च से शुरू होगी, जिसमें लगभग 3 लाख विद्यार्थी हिस्सा लेंगे।
4. 10वीं बोर्ड परीक्षा (मैट्रिक)
झारखंड मैट्रिक परीक्षा 11 फरवरी से शुरू हो रही है। इसमें 4,33,886 विद्यार्थी शामिल होंगे।
5. 12वीं बोर्ड परीक्षा
इसी दिन 12वीं बोर्ड परीक्षा भी आयोजित होगी, जिसमें 3,49,825 विद्यार्थी शामिल होंगे।
परीक्षा संचालन में नेतृत्व की आवश्यकता
परीक्षा से पहले अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त होने से कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- गोपनीयता की सुरक्षा:
प्रश्न पत्र सेट करने और प्रिंटिंग जैसी प्रक्रियाओं की गोपनीयता बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। - आपातकालीन निर्णय:
परीक्षा के दौरान आने वाली आकस्मिक समस्याओं को हल करने के लिए नेतृत्व आवश्यक है। - प्रबंधन में देरी:
केंद्र आवंटन और मॉनिटरिंग जैसे कार्य समय पर पूरे नहीं हो पाएंगे।
इतिहास से सबक
1993 में एकीकृत बिहार के दौरान परीक्षा से पहले अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त हो गया था। परिणामस्वरूप, प्रशासन को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा था, जैसे प्रश्न पत्र लीक और परीक्षा में अनियमितताएं।
समस्याओं का समाधान कैसे होगा?
1. शीघ्र नियुक्ति की आवश्यकता
सरकार को तुरंत जैक के नए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की नियुक्ति करनी चाहिए ताकि आगामी परीक्षाओं की तैयारी सुचारू रूप से हो सके।
2. बोर्ड के खाली पदों को भरना
तीन माह से खाली बोर्ड के विधायी पदों को जल्द से जल्द भरा जाना चाहिए ताकि सामूहिक निर्णय लिए जा सकें।
3. प्रशासनिक प्रक्रियाओं का तेज़ी से निष्पादन
परीक्षा संचालन से संबंधित सभी प्रक्रियाओं को तेजी से पूरा करने के लिए एक अस्थायी समिति का गठन किया जा सकता है।
झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद खाली होने से राज्य की आगामी बोर्ड परीक्षाओं पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। प्रशासन को शीघ्र नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करनी होगी ताकि विद्यार्थियों की पढ़ाई और परीक्षाओं में बाधा न आए। जैक के नेतृत्व की कमी से राज्य के शैक्षणिक ढांचे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।