कुड़मी समाज के हितों पर सुलुमजुड़ी बैठक में बनी रणनीति

कुड़मी समाज के हितों पर सुलुमजुड़ी बैठक में बनी रणनीति

सिल्ली (झारखंड): कुरमी/कुड़मी (महतो) समन्वय समिति झारखंड, बंगाल एवं उड़ीसा की एक महत्वपूर्ण संयुक्त बैठक सुलुमजुड़ी सिल्ली स्थित विलेज रिसोर्ट में सफलतापूर्वक आयोजित हुई। बैठक का नेतृत्व संयोजक लालचन महतो ने किया और संचालन रामेश्वर महंतो, हजारीबाग के शशिभूषण महतो व मनोहरपुर के सुभेंदु महतो ने मिलकर किया।

बैठक में क्षेत्रीय प्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों की उल्लेखनीय भागीदारी रही। बोकारो से खिरोधर महतो, धनबाद से हिरालाल शांखवार, पूर्व प्रमुख गौमिया के प्रभु दयाल महतो, मनोहरपुर से मदन कुमार महतो, चक्रधरपुर से कोकिल महतो, सरायकेला से मनसा महतो, टाटीसिलवे से निताई चन्द्र महतो, मथुर प्रसाद महतो, महावीर महतो और उपेन्द्र नारायण सिंह जैसी शख्सियतें शामिल थीं।

कुरमी समाज के लिए 4 प्रमुख प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित

बैठक में समाज की एकता, पहचान और अधिकारों को लेकर चार महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए। सभी प्रस्तावों को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया, जिनका उद्देश्य कुरमी/कुड़मी (महतो) समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक अस्मिता की रक्षा करना है।

  1. पहचान का विषय — यह तय किया गया कि समाज को कुरमी/कुड़मी (महतो) के नाम से ही संबोधित किया जाएगा। चूंकि 90 प्रतिशत आबादी “कुरमी” नाम का प्रयोग करती है, इसलिए “कूड़मी” नाम का त्याग आवश्यक है क्योंकि उसकी जनसंख्या नगण्य है।
  2. धार्मिक पहचान की स्पष्टता — धर्मकोट को “जाहेरा/गाराम” लिखा जाए और “सारना” शब्द का उपयोग पूरी तरह से बंद किया जाए, क्योंकि यह कुरमी परंपरा का प्रतिनिधित्व नहीं करता।
  3. अनुसूचित क्षेत्र को लेकर सवाल — रांची, सरायकेला और पूर्वी सिंहभूम को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किए जाने के आधारों पर जनप्रतिनिधियों से सवाल उठाए जाएं। उनसे अपेक्षा की गई कि वे इस विषय पर सदन में आवाज उठाएं और समाज को इसके बारे में सही जानकारी दें।
  4. एग्रीकल्चर ST की भ्रांति पर रोक — समाज ने यह स्पष्ट किया कि “फार्मिंग ST” और “एग्रीकल्चर ST” जैसी भ्रामक अवधारणाओं का प्रयोग तुरंत बंद किया जाए। इससे समुदाय की पहचान को नुकसान पहुंचता है।

बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार रहे मुख्य अतिथि

इस विशेष बैठक में बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आदरणीय श्रवण कुमार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने समिति की पहल की सराहना करते हुए समाज को हरसंभव सहयोग देने का आश्वासन दिया। उनके अनुसार, इस तरह के संवाद और संगठनात्मक गतिविधियाँ समाज की मजबूती के लिए आवश्यक हैं।

बैठक में कई अन्य प्रमुख सदस्यों जैसे तैजपाल महतो, जगदीश महतो, भगिरथ महतो, सृष्टिधर महतो (रामगढ़), सुभाष चंद्र महतो (मुरी), बिष्णु चरण महतो (बारेडीह), बसंत महतो, हेमंत महतो (बाबरी), सुनिल माहातो (पुरुलिया), निवारण चंद्र महतो (बागमुंडी), कल्याण प्रसाद महतो, फटीक चंद्र महतो और गिरीजानंदन महतो (झालदा) की सक्रिय भागीदारी रही।

निष्कर्ष रूप में, सुलुमजुड़ी की यह बैठक समाज के स्वरूप, पहचान और हक़ के लिए एक मजबूत कदम मानी जा रही है। यह प्रयास न केवल कुरमी समाज को संगठित करेगा, बल्कि आने वाले समय में सामाजिक न्याय और अधिकारों की लड़ाई को नई दिशा देगा।

Subhash Shekhar

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