रांची: झारखंड की राजधानी रांची के प्रसिद्ध फिरायालाल चौक पर रविवार को सरहुल मिलन समारोह का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक सौहार्द का प्रतीक बना, बल्कि आदिवासी परंपराओं और प्रकृति के प्रति समर्पण का भी सजीव उदाहरण प्रस्तुत किया।
इस विशेष मौके पर झारखंड सरकार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष श्री सुदेश महतो ने दर्जनों कार्यकर्ताओं के साथ हिस्सा लिया। उनके आगमन पर समारोह के मुख्य संयोजक निर्मल उरांव और नामित हेंब्रम ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
“प्रकृति से जुड़ाव ही सरहुल का असली संदेश है”: सुदेश महतो
समारोह को संबोधित करते हुए श्री सुदेश महतो ने कहा कि सरहुल पर्व जल, जंगल और जमीन से हमारे रिश्ते को मजबूत करता है। यह पर्व प्रकृति से जुड़ने और उसे सहेजने का संदेश देता है। उन्होंने झारखंड की सांस्कृतिक विरासत की सराहना करते हुए कहा कि सरहुल हमारी परंपरा, पहचान और प्रकृति के साथ संबंधों का उत्सव है।
उन्होंने आयोजन समिति को इस सफल कार्यक्रम के लिए बधाई दी और कहा कि ऐसे आयोजनों से हमारी सांस्कृतिक जड़ों को मज़बूती मिलती है।
आजसू पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता देवशरण भगत ने भी इस अवसर पर आयोजकों को धन्यवाद दिया और कहा कि सरहुल जैसे आयोजन समाज को एकता और संस्कृति से जोड़ते हैं।
सांस्कृतिक रंग में रंगा समारोह, गणमान्य अतिथियों की रही उपस्थिति
सरहुल मिलन कार्यक्रम में झारखंड की कला-संस्कृति को समर्पित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। पद्मश्री मुकुंद नायक, रोशनी खलखो, सशांक राज, बबलू मुंडा, कुमुद वर्मा, सुरेंद्र लिंडा, हरीश कुमार और ओम वर्मा सहित अनेक सांस्कृतिक प्रेमी जनों ने इस कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।
कार्यक्रम में पारंपरिक नृत्य, गीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया। सरहुल पर्व के माध्यम से प्रकृति पूजन, समाजिक एकता और सांस्कृतिक चेतना को प्रोत्साहन मिला।
झारखंडी अस्मिता और पारंपरिक विरासत का प्रतीक बना सरहुल मिलन समारोह
सरहुल पर्व अब केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं रह गया है, बल्कि यह आदिवासी अस्मिता, सांस्कृतिक एकता और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक बन चुका है। सुदेश महतो का इसमें शामिल होना इस पर्व के महत्व को और भी बढ़ा देता है।
आज के समय में जब पर्यावरण संरक्षण एक वैश्विक चुनौती बन चुका है, ऐसे में सरहुल जैसा पर्व हमें प्रकृति के साथ संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
इस आयोजन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि झारखंड की धरती पर परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम मौजूद है।