नदिया, पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल के मौलाना अबुल कलाम आजाद प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MAKAUT) में एक अनोखी घटना सामने आई है। यहां मनोविज्ञान विभाग की प्रमुख महिला प्रोफेसर ने प्रथम वर्ष के छात्र के साथ क्लासरूम में हिंदू रीति-रिवाजों से विवाह कर लिया। इस शादी का वीडियो सामने आने के बाद मामला तूल पकड़ चुका है।
क्लासरूम में विवाह का वीडियो वायरल
वीडियो में प्रोफेसर दुल्हन की तरह लाल कढ़ाई वाली बनारसी साड़ी में सजी हुई दिख रही हैं, जबकि छात्र ने भी पारंपरिक परिधान पहना हुआ है। दोनों ने एक-दूसरे को माला पहनाई और प्रोफेसर की मांग में सिंदूर भरा गया। क्लास में मौजूद छात्रों ने इस अनोखी शादी का उत्साहपूर्वक स्वागत किया।
यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही कई सवाल उठने लगे। कई लोगों ने विश्वविद्यालय परिसर में इस तरह की घटना पर आपत्ति जताई और इसे अनुशासनहीनता करार दिया।
A lady Professor in MAKAUT is 'getting married' to her young student in the office. pic.twitter.com/coXaVGH7s7
— Abir Ghoshal (@abirghoshal) January 29, 2025
विश्वविद्यालय प्रशासन ने बनाई जांच समिति
मामले की गंभीरता को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया। विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति तपस चक्रवर्ती ने कहा कि यह घटना छात्रों और विश्वविद्यालय की छवि पर असर डाल सकती है, इसलिए उचित जांच आवश्यक है।
प्रोफेसर को छुट्टी पर भेज दिया गया है, जबकि छात्र को भी फिलहाल कक्षाओं से दूर रहने को कहा गया है।
प्रोफेसर ने बताया इसे साइको-ड्रामा
विवाद बढ़ने पर महिला प्रोफेसर ने सफाई देते हुए कहा कि यह शादी असली नहीं थी, बल्कि यह उनकी कक्षा का एक साइको-ड्रामा प्रदर्शन था। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस प्रदर्शन का उद्देश्य मनोविज्ञान के पाठ्यक्रम का व्यावहारिक पक्ष समझाना था और इसका कोई अनैतिक उद्देश्य नहीं था।
प्रोफेसर का दावा है कि वीडियो केवल आंतरिक शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए था, लेकिन इसे गलत तरीके से सार्वजनिक कर दिया गया, जिससे उनकी और विभाग की छवि धूमिल हुई।
कुलपति का बयान और आगे की कार्रवाई
एमएकेएयूटी के कार्यवाहक कुलपति तपस चक्रवर्ती ने कहा कि प्रोफेसर की सफाई स्वीकार की गई है, लेकिन वायरल वीडियो के कारण उठे विवाद को देखते हुए प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़ी। उन्होंने कहा, “हमने प्रोफेसर को छुट्टी पर भेज दिया है और जांच समिति की रिपोर्ट आने तक इस मामले पर अंतिम निर्णय नहीं लिया जाएगा।”
जांच समिति में विभिन्न विभागों की तीन महिला प्रोफेसर शामिल हैं। यह समिति यह तय करेगी कि यह घटना केवल एक शैक्षणिक गतिविधि थी या अनुशासनात्मक कार्रवाई की आवश्यकता है।
सोशल मीडिया पर मिली मिली-जुली प्रतिक्रिया
इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर लोग बंटे हुए हैं। कुछ लोग इसे प्रोफेसर की गलती मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे शिक्षा प्रणाली में प्रयोगात्मक तरीकों का हिस्सा बता रहे हैं।
अब सभी की नजरें जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिससे यह साफ होगा कि यह एक निर्दोष शैक्षणिक प्रयोग था या अनुशासनहीनता का मामला।