रांची: झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा (CGL) में कथित पेपर लीक मामले को लेकर दायर याचिका पर सोमवार को झारखंड हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई। इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने की मांग को लेकर दायर याचिका पर राज्य सरकार, आयोग और वादियों की ओर से बहस पूरी हो चुकी है। अब अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है, जिसे मंगलवार को सुनाया जाएगा।
यह मामला न केवल JSSC की विश्वसनीयता से जुड़ा है बल्कि हजारों अभ्यर्थियों के भविष्य पर भी इसका सीधा असर पड़ने वाला है। अभ्यर्थी अब कोर्ट के फ़ैसले का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं, क्योंकि यह निर्णय तय करेगा कि परीक्षा प्रक्रिया वैध मानी जाएगी या इसे दोबारा करवाने का आदेश दिया जाएगा।
राज्य सरकार और JSSC की ओर से पेश हुई दलीलें
सोमवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन, अधिवक्ता पीयूष चित्रेश और JSSC की ओर से अधिवक्ता संजॉय पिपरवाल उपस्थित रहे। सरकार की दलील थी कि परीक्षा की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रही है और किसी भी तरह की गड़बड़ी की शिकायतों की जांच राज्य एजेंसियां पहले ही कर चुकी हैं। इसलिए CBI जांच की आवश्यकता नहीं है।
वहीं, JSSC के वकील ने कोर्ट को बताया कि आयोग ने परीक्षा के दौरान हर स्तर पर सुरक्षा उपाय अपनाए थे, ताकि किसी भी प्रकार की लीक या धांधली की गुंजाइश न रहे। उन्होंने कहा कि कुछ अभ्यर्थियों द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम से परीक्षा प्रक्रिया की छवि को नुकसान पहुंचा है।
याचिकाकर्ताओं ने CBI जांच पर दिया जोर
वादियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार सिन्हा और हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार ने अदालत में जोरदार बहस की। उन्होंने कहा कि परीक्षा प्रक्रिया में व्यापक स्तर पर गड़बड़ियां हुई हैं और केवल स्वतंत्र एजेंसी जैसे CBI द्वारा की गई जांच ही सच्चाई को सामने ला सकती है।
उनका तर्क था कि परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने से कई योग्य अभ्यर्थियों का भविष्य प्रभावित हुआ है और निष्पक्षता की मांग के तहत CBI जांच ही एकमात्र समाधान है। साथ ही उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि जब तक जांच पूरी न हो, तब तक परिणामों पर रोक लगाई जाए।
फैसला अब मंगलवार को, अभ्यर्थियों में बढ़ी उत्सुकता
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब मंगलवार को यह स्पष्ट हो जाएगा कि अदालत इस मामले को CBI को सौंपती है या राज्य एजेंसियों को जांच जारी रखने की अनुमति देती है।
इस बीच, झारखंड के हजारों अभ्यर्थी अपनी निगाहें कोर्ट के निर्णय पर टिकाए हुए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी इस मुद्दे को लेकर चर्चा तेज हो गई है। कई अभ्यर्थियों का कहना है कि वे सिर्फ एक निष्पक्ष और पारदर्शी जांच चाहते हैं ताकि मेहनती छात्रों को न्याय मिल सके।
झारखंड में सरकारी नौकरियों से जुड़ी परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर यह फैसला बड़ा असर डाल सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि अदालत का निर्णय राज्य की भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और भरोसे को कितना मजबूत करता है।







