सुप्रीम कोर्ट की आदेशों का समर्थन: कानून का पालन होगा
New Delhi: सोमवार को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लाइव प्रसारण पर लगे रोक के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर यह स्पष्ट किया कि किसी भी मौखिक आदेश की बजाय कानून के अनुसार काम किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मंदिरों में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के सीधे प्रसारण पर रोक लगाने के मौखिक आदेश का पालन करने के लिए कोई भी बाध्य नहीं है.
पूजा अर्चना और प्राण प्रतिष्ठा समारोह: कोई प्रतिबंध नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के एक वकील के बयान को भी दर्ज किया, जिसमें कहा गया है कि मंदिरों में ‘पूजा अर्चना’ या प्राण प्रतिष्ठा समारोह के सीधे प्रसारण पर कोई पाबंदी नहीं है. उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि लाइव प्रसारण को सिर्फ इसलिए नहीं रोका जा सकता है क्योंकि इलाके में अन्य समुदाय के लोग रहते हैं.
बीजेपी की प्रतिक्रिया: सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लाइव प्रसारण पर प्रतिबंध लगाए जाने के आदेश के खिलाफ, बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने इस याचिका को सुनते हुए कहा है कि इस आदेश का पालन करना विवादास्पद है. सुप्रीम कोर्ट ने उसी याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया है, जिससे स्पष्ट है कि प्राण-प्रतिष्ठा समारोह आज देश के कई मंदिरों में सीधे प्रसारण किया जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से स्पष्ट है कि कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए ही किसी भी सामाजिक घटना के प्रसारण की अनुमति होनी चाहिए. इससे सामाजिक एकता और सामंजस्य बना रह सकता है.