व्हाट्सऐप कॉल से शुरू हुआ डिजिटल आतंक, रांची की महिला से 1.4 करोड़ की साइबर ठगी

व्हाट्सऐप कॉल से शुरू हुआ डिजिटल आतंक, रांची की महिला से 1.4 करोड़ की साइबर ठगी

रांची में एक चौंकाने वाला साइबर क्राइम का मामला सामने आया है, जिसमें एक साधारण व्हाट्सऐप कॉल के जरिए एक महिला को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर करीब 1.4 करोड़ रुपए की ठगी कर ली गई। यह घटना न केवल राज्य बल्कि देश भर में साइबर सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा रही है।

महिला को कथित तौर पर खुद को केंद्रीय एजेंसियों – सीबीआई, एनसीबी और एनआईए – का अधिकारी बताकर कॉल किया गया। कॉलर ने उसे डिजिटल अरेस्ट में लेने की धमकी दी और इसके तुरंत बाद महिला से 1.39 करोड़ रुपए अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवा लिए।

दुबई से जुड़ा मामला, भारत में सक्रिय नेटवर्क का भंडाफोड़

जैसे ही पीड़िता ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई, राज्य की सीआईडी हरकत में आई। मनी ट्रेल की जांच शुरू की गई तो चौंकाने वाले खुलासे सामने आए। ठगी की रकम ICICI बैंक के एक खाते में ट्रांसफर हुई थी, जो ‘कुनापुली इंपैक्स प्राइवेट लिमिटेड’ के नाम पर खोला गया था।

इस खाते में सिर्फ एक दिन में लगभग 1.73 करोड़ रुपए जमा हुए थे। जांच में पता चला कि इस खाते के खिलाफ पहले से ही नौ राज्यों – पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, गोवा, बिहार, महाराष्ट्र, केरल, मध्यप्रदेश, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश – में 15 साइबर फ्रॉड की शिकायतें दर्ज हैं।

सीआईडी की पूछताछ में एक आरोपी कुनापुली सुब्रमण्या शर्मा ने बताया कि वे दुबई के साइबर अपराध सिंडिकेट के संपर्क में थे। यह गिरोह दुबई के आरएके बैंक में खोले गए फर्जी अकाउंट्स के माध्यम से ठगी की रकम को भारत से ट्रांसफर करवाता था।

तीन आरोपी गिरफ्तार, सबूतों के साथ रांची लाया गया

इस हाई-प्रोफाइल साइबर फ्रॉड केस में सीआईडी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के पुरानी हवेली इलाके से बी इशाक अहमद, अमेरपेठ से कुनापुली सुब्रमण्या शर्मा और मिजोरम के आइजॉल से लालदुहसांगा को हिरासत में लिया गया।

गिरफ्तारी के समय आरोपियों के पास से यूएई रेसिडेंट कार्ड, व्हाट्सऐप चैट्स, चार मोबाइल फोन, सिम कार्ड, पांच एटीएम कार्ड और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सबूत बरामद किए गए। पूछताछ के बाद सभी आरोपियों को रांची लाकर आगे की कार्रवाई की जा रही है।

साइबर सुरक्षा को लेकर फिर खड़े हुए सवाल

इस घटना ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि साइबर अपराधी लगातार नए-नए तरीकों से आम जनता को निशाना बना रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट, व्हाट्सऐप कॉल और विदेशी सिंडिकेट के इस्तेमाल से लोग मानसिक दबाव में आकर अपनी मेहनत की कमाई गंवा रहे हैं।

झारखंड पुलिस और सीआईडी की तत्परता से यह मामला सुलझा, लेकिन इससे यह भी साबित होता है कि साइबर क्राइम की जड़ें अब देश के छोटे-बड़े शहरों तक फैल चुकी हैं। लोगों को जागरूक रहने की जरूरत है और किसी भी तरह की धमकी या डराने वाली कॉल आने पर तुरंत संबंधित थाने में शिकायत करनी चाहिए।

Subhash Shekhar

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