Ranchi: कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने लोकसभा में एक महत्वपूर्ण मांग उठाते हुए कहा कि सरहुल पर्व को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाए। उन्होंने आदिवासी समाज के इस पवित्र पर्व का उल्लेख करते हुए कहा कि यह त्योहार सूर्य और धरती की आराधना का प्रतीक है और झारखंड समेत कई राज्यों में इसे श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
सरहुल: आदिवासी संस्कृति का अहम पर्व
सांसद भगत ने बताया कि सरहुल आदिवासी समुदाय का सबसे प्रमुख त्योहार है, जिसे चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। इस दिन प्रकृति की पूजा की जाती है और नई फसल के आगमन का स्वागत किया जाता है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पुरी की रथ यात्रा, रांची की रामनवमी शोभायात्रा भारत की बड़ी शोभायात्राओं में शामिल हैं, उसी प्रकार सरहुल शोभायात्रा भी झारखंड की सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा है।
सरकार के कैलेंडर में आदिवासी पर्व के लिए अवकाश क्यों नहीं?
सांसद सुखदेव भगत ने सवाल उठाया कि सरकार के हॉलीडे कैलेंडर में एक भी आदिवासी त्योहार को राष्ट्रीय अवकाश का दर्जा नहीं दिया गया है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से विनम्र निवेदन किया कि आने वाले सरहुल महोत्सव को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता दी जाए, ताकि पूरे देश में इसे सम्मान मिल सके।
आदिवासी समाज की मांग को मिले समर्थन
सांसद भगत ने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाते हुए सभी सदस्यों को होली की शुभकामनाएं दीं और आग्रह किया कि आदिवासी समाज की इस मांग को गंभीरता से लिया जाए।
सरहुल सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आदिवासी समुदाय की आस्था और परंपरा का प्रतीक है। इसे राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग लंबे समय से उठती रही है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या निर्णय लेती है और क्या आदिवासी समाज को वह सम्मान मिल पाएगा, जिसका वे हकदार हैं।