Ranchi: रांची के उप-विकास आयुक्त दिनेश कुमार यादव द्वारा आज विकास भवन रांची से जिला बाल संरक्षण इकाई, राँची के द्वारा सिन्दुआर टोला ग्रामोदय विकास विद्यालय (SGVV) के सहयोग से बाल सुरक्षा, बाल अधिकार युक्त एवं बाल अपराध मुक्त समाज के निर्माण के लिए 04 दिसम्बर 2023 से 15 दिसम्बर 2023 तक “जागरूकता पखवाड़ा” का आयोजन किया जा रहा है. जिसको लेकर जागरूकता रथ को रवाना किया गया.
इस दौरान रांची के जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी डॉ प्रभात शंकर, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्रीमती स्वेता भारती, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी वेद प्रकाश तिवारी, एवं जिला बाल संरक्षण इकाई के टीम के साथ सहयोगी सिन्दुआर टोला ग्रामोदय विकास विद्यालय (SGVV) के प्रतिनिधि, राजेन कुमार, अरविन्द कुमार, पुजा, विवेक आदि उपस्थित थे.
बता दें कि जागरुकता रथ 04 दिसम्बर 2023 से 15 दिसम्बर 2023 तक जिले के सभी 18 प्रखण्डों में बाल मजदुरी, बाल विवाह, बाल तस्कारी, बाल यौन शोषण से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता के माध्यम से जन समुदाय के बीच जाकर उपर्युक्त श्रेणी में आने वाले बच्चों को चिन्हित करते हुए आवश्यक सहयोग प्रदान करेगा साथ ही बच्चों से संबंधित सरकार द्वारा चालायी जा रही विभिन्न योजनाओं की भी जानकारी देगा.
झारखण्ड सरकार बच्चों और महिलाओं को लेकर काफ़ी संवेदनशील
उप-विकास आयुक्त ने जागरूकता रथ रवाना करने के क्रम में कहा की झारखण्ड सरकार बच्चों और महिलाओं को लेकर काफ़ी संवेदनशील उनकी सभी समस्या का निदान हो यह हमारी प्राथमिकता में शामिल है. उन्होंने विशेष रूप से कहा की यह जागरूकता रथ प्रखंड-प्रखंड बच्चों के बारें में जानकारी लेगा, उन्हें जागरूक करते हुए उनकी समस्या का निदान किया जाएगा.
बच्चों से जुड़ी समस्या का निदान करेंगे, निदान की पहली सीढ़ी जागरूकता
उप विकास आयुक्त दिनेश कुमार यादव ने कहा की बच्चों से जुड़ी समस्या का निदान करेंगे, निदान की पहली सीढ़ी जागरूकता है. यह रथ प्रखंड-प्रखंड, गांव-गांव, मोहल्ले-मोहल्ले घूम कर बच्चों को जागरूक करेगी साथ ही उनकी समस्या को जमीनी स्तर से समझते हुए इसका निदान करेगी.
जागरूकता रथ का मुख्य उद्देश्य
👉यदि आप अपने बच्चों का विवाह 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के का करते है तो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सहयोग करने वाले या शामिल होने वाले वर बघू के माता पिता परिवार, रिश्तेदार, पड़ोसी, शादी कराने में अगुवाई करने वाले तथा ऐसे विवाह को सम्पन्न कराने वाले पंडित, मौलवी, पादरी, टेन्ट, हलवाई सभी को नियमानुसार जेल एवं जुर्माना हो सकता है.
👉यदि आपके घर में कोई परिचित या उनके साथ अन्य व्यक्ति आकर आपके बच्चे को अन्य स्थान या शहर ले जाकर पढ़ाई कराने, काम सिखाने या रोजगार दिलाने का प्रलोभन देते हैं तो वैसे व्यक्ति आपके बच्चों के हितैषी नहीं है, उनसे सावधान रहे, तथा ऐसे व्यक्ति की शिकायत एवं सूचना नजदीकी थाने में अवश्य दे.
👉 बच्चों के साथ दुर्व्यवहार कानूनी अपराध है जिसमें दुर्व्यवहार करने वाले व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 370 के अनुसार कम से कम 10 वर्ष का कारावास, जो आजीवन कारावास में प्रवर्तित हो सकता है, की सजा का प्रावधान है.
बाल मजदूरी कानूनन अपराध है
👉18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी कराना कानूनन जुर्म है. बाल मजदूरी करवाने वाले व्यक्ति को दो साल तक जेल तथा 20 हजार रुपये से लेकर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
👉बाल मजदूरी कराने के स्थान यथा ईट भट्ठा, पत्थर तोड़ने का कार्य, निर्माण कार्य, गैराज, बेल्डींग, वर्क शॉप, कारखाना, होटल, ढाबा, चौक-चौराहों पर सामान की बिक्री कराना, ठेला-खोमचा के माध्यम से सामनों की बिक्री करना, सब्जियों की बिक्री करना एवं फुटपाथ पर सामान बेचना, आदि.
👉इस कानून के तहत बाल श्रम से संबंधित शिकायत कोई भी नागरिक श्रम विभाग, पुलिस, चाइल्ड हेल्पलाईन 1098, पर इसकी शिकायत दर्ज कर सकता है.
“बाल यौन शोषण कानूनन अपराध है”
👉 बच्चों को यौन अपराध से सुरक्षित करने “यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (POCSO) कानून 2012 बनाया गया है जिसके तहत :-बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध, यौन शोषण, यौन दुर्व्यवहार के लिए अधिनियम में दण्ड का प्रावधान है जिसमें कम से कम 10 वर्ष का कठोर कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकता है.
👉 इस कानून के अनुसार बच्चों को अश्लील सामग्री दिखाने या दुर्व्यवहार करने पर 10 वर्ष तक का कठोर कारावास या जुर्माना या दोनो हो सकता है.
बच्चों से संबंधित बाल अधिकार
बच्चों का स्वतः उत्पन्न होने वाला अधिकार जैसे, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, पोषण, सहभागिता
👉किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 एवं नियम, 2017 के अनुसार बच्चों को अधिकार दिलाने हेतु जिला स्तर पर जिला बाल संरक्षण इकाई एवं बाल कल्याण समिति है. शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 06 वर्ष में 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान है.
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अनुसार
👉जब कोई बच्चा विषम परिस्थिति में फस जाता है तो ऐसी स्थिति में बच्चों को विषम परिस्थिति से सुरक्षित निकाल कर उनके परिवार में पुनर्वासित करने का प्रावधान है.
👉यदि परिवार का कोई बच्चा जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम हो वह किसी कारण वश परिवार में अलग होकर बाल श्रम, बाल तस्करी या अन्य विषम परिस्थिति के कारण बाहर चले जाते है तो उनका पता लगाकर उनके परिवार में पुर्नवापसी का कार्य जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा किया जाता है. कानून है तथा इसमें संलिप्त व्यक्ति को कठोर सजा देने का प्रावधान है.
👉यदि किसी व्यक्ति को बच्चा गोद लेना है तो वह जिला बाल संरक्षण इकाई समाहरणालय ब्लॉक- बी में संपर्क कर सकते है.