• जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने से झारखंडी युवाओं का भविष्य अंधकार में
• अन्य शैक्षणिक विषयों पर भी महामहिम राज्यपाल का ध्यान आकृष्ट कराया
• रांची विश्वविद्यालय का नाम बदलकर ‘पद्मश्री डॉ. राम दयाल मुंडा विश्वविद्यालय’ करने की मांग
रांची। झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) के अध्यक्ष पद की छह महीने से लंबित नियुक्ति को लेकर झारखंड के लाखों युवा हताश और निराश हैं। इसी मुद्दे को लेकर अबुआ अधिकार मंच के प्रतिनिधिमंडल ने आज माननीय राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार से मुलाकात कर इस गंभीर विषय पर हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। मंच के प्रतिनिधियों ने अन्य महत्वपूर्ण शैक्षणिक और सांस्कृतिक विषयों को भी महामहिम राज्यपाल के समक्ष रखा।
अबुआ अधिकार मंच के नीतीश सिंह ने कहा कि जेपीएससी अध्यक्ष पद लंबे समय से रिक्त होने के कारण विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में देरी हो रही है, जिससे हजारों युवाओं का भविष्य प्रभावित हो रहा है। परीक्षा प्रक्रियाओं में विलंब से योग्य अभ्यर्थियों के करियर पर संकट मंडरा रहा है। मंच ने राज्यपाल से अनुरोध किया कि जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति अविलंब की जाए, ताकि नियुक्तियों को लेकर लंबित परीक्षाएं, परिणाम और प्रमोशन के मामले जल्द निपटाए जा सकें।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल अभिषेक शुक्ला, अभिषेक कुमार, अंशुतोष कुमार और रूही परवीन ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने बताया कि जेपीएससी 11वीं-13वीं की मेंस परीक्षा के परिणाम भी अध्यक्ष की नियुक्ति न होने के कारण रुके हुए हैं। इसके अलावा कई अन्य परीक्षाएं और नियुक्तियों की प्रक्रिया अटकी हुई है।
जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी से प्रभावित हो रहे युवा
जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने के कारण झारखंड की भर्ती परीक्षाओं में अनिश्चितता बनी हुई है। विभिन्न विभागों की परीक्षाएं रुकी हुई हैं, जिससे योग्य अभ्यर्थी समय पर नौकरी पाने से वंचित हो रहे हैं। परीक्षाओं में देरी से कई अभ्यर्थियों की आयु सीमा समाप्त होने का खतरा बढ़ गया है, जिससे उनकी वर्षों की मेहनत और सपने अधर में लटक गए हैं।
अबुआ अधिकार मंच ने कहा कि बेरोजगारी और युवाओं में असंतोष लगातार बढ़ रहा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, सरकारी नियुक्तियों में देरी से राज्य की प्रशासनिक कार्यप्रणाली भी बाधित हो रही है।
महत्वपूर्ण शैक्षणिक और सांस्कृतिक माँगें
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से रांची विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय का नाम वीर बुधु भगत पुस्तकालय रखने और अन्य विश्वविद्यालयों के पुस्तकालयों का नामकरण झारखंड के महापुरुषों के नाम पर करने की मांग की।
छात्रसंघ चुनाव शीघ्र कराए जाएं
पिछले छह वर्षों से झारखंड के विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए हैं। अबुआ अधिकार मंच ने मांग की कि वर्ष 2025-26 में अनिवार्य रूप से छात्रसंघ चुनाव कराए जाएं, ताकि छात्र नेतृत्व को उचित मंच मिल सके।
संविदा सहायक प्राध्यापकों को स्थायी किया जाए
झारखंड के विश्वविद्यालयों में वर्षों से सेवाएँ दे रहे संविदा सहायक प्राध्यापकों को स्थायी किया जाए या उन्हें 78,000 रुपये मासिक वेतन दिया जाए, ताकि वे आर्थिक असुरक्षा से मुक्त होकर उच्च शिक्षा को सशक्त बना सकें और गुणवत्ता में सुधार हो।
रांची विश्वविद्यालय का नाम बदलने की माँग
झारखंडी भाषा, संस्कृति और शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले पद्मश्री डॉ. राम दयाल मुंडा के सम्मान में रांची विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखा जाए। साथ ही, डोरंडा महाविद्यालय का नाम भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम महाविद्यालय किया जाए।
झारखंडी महापुरुषों की प्रतिमाएं स्थापित की जाएं
राजभवन की तर्ज पर सभी विश्वविद्यालय परिसरों में झारखंड के महापुरुषों की प्रतिमाएं स्थापित की जाएं। यह पहल नई पीढ़ी को अपने महापुरुषों से प्रेरणा लेने में मदद करेगी।
पुस्तकालयों की स्थापना एवं खेल सुविधाओं का विस्तार
अबुआ अधिकार मंच ने मांग की कि झारखंड के विश्वविद्यालयों में आधुनिक मल्टीपर्पज इंडोर स्टेडियम बनाए जाएं, ताकि युवा खेल प्रतिभाओं को उचित अवसर मिल सके। साथ ही, महिला छात्रावासों की संख्या बढ़ाई जाए, ताकि दूर-दराज के विद्यार्थी उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकें।
झारखंड में परीक्षाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, इसलिए 10,000 विद्यार्थियों की क्षमता वाले परीक्षा भवन बनाए जाएं, जिससे परीक्षाओं का संचालन सुचारू रूप से हो सके।
राज्यपाल से तत्काल कार्रवाई की अपील
अबुआ अधिकार मंच ने महामहिम राज्यपाल से इन माँगों पर शीघ्र संज्ञान लेने और उचित कदम उठाने का अनुरोध किया है। मंच ने स्पष्ट किया कि ये मुद्दे झारखंड के युवाओं और राज्य की शिक्षा व्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।