छठ की तैयारी गम में डूबा: तालाब में नहाने गई दो बच्चियों की मौत से बेला गांव में मातम

छठ की तैयारी गम में डूबा: तालाब में नहाने गई दो बच्चियों की मौत से बेला गांव में मातम

Keredari: छठ पूजा की पूर्व संध्या पर झारखंड के हज़ारीबाग जिले के केरेडारी थाना क्षेत्र के बेला गांव से दर्दनाक हादसे की खबर आई है। पूजा की तैयारी कर रही दो मासूम बच्चियां तालाब में नहाने के दौरान डूब गईं, जिससे पूरे गांव में मातम का माहौल है।

रविवार की सुबह बेला गांव की रूपा तिवारी (12) और गुनगुन कुमारी (11) अपने घर के पास स्थित तालाब में छठ पर्व की तैयारी के तहत नहाने गई थीं। बताया जा रहा है कि नहाने के दौरान पैर फिसलने से दोनों बच्चियां गहरे पानी में चली गईं और बाहर नहीं निकल सकीं। जब आसपास मौजूद लोगों ने शोर सुना, तो वे दौड़कर पहुंचे और मदद करने की कोशिश की, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।

अस्पताल में नहीं मिला डॉक्टर, गुस्से में परिजन

घटना के बाद स्थानीय लोगों ने तुरंत दोनों बच्चियों को तालाब से बाहर निकाला और आनन-फानन में केरेडारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। लेकिन वहां पहुंचने पर परिजनों ने देखा कि अस्पताल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। इससे परिवार के लोग बुरी तरह आक्रोशित हो गए।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय पर चिकित्सक उपलब्ध होते तो शायद बच्चियों की जान बच सकती थी। देर होने के कारण परिजनों ने उन्हें बड़कागांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां चिकित्सा प्रभारी डॉ. अविनाश कुमार ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।

पूरे गांव में पसरा मातम, प्रशासन से जांच की मांग

बेला गांव में इस हृदयविदारक घटना के बाद शोक की लहर दौड़ गई है। पूरे गांव में छठ पूजा की खुशी अब मातम में बदल गई है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की अनुपस्थिति पर जांच होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोबारा न हो।

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। फिलहाल गांव में शोक का माहौल है और हर कोई दोनों बच्चियों की असामयिक मौत पर दुख व्यक्त कर रहा है।

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

मृत बच्चियों की पहचान रूपा तिवारी, पिता रवि तिवारी, और गुनगुन कुमारी, पिता अनिल तिवारी, निवासी बेला गांव के रूप में हुई है। दोनों परिवारों पर ग़म का पहाड़ टूट पड़ा है। जहां एक ओर पूरा झारखंड छठ पूजा की तैयारी में व्यस्त है, वहीं इन परिवारों के घरों में मातम का सन्नाटा है।

गांव की महिलाओं ने बताया कि दोनों बच्चियां बहुत ही चंचल और हंसमुख स्वभाव की थीं। वे छठ पूजा में घर के साथ तालाब की सफाई में मदद कर रही थीं। किसे पता था कि यही तालाब उनकी जिंदगी का आखिरी पड़ाव बन जाएगा।

छठ पर्व की तैयारियों पर पड़ा असर

इस दर्दनाक घटना के बाद बेला गांव समेत आसपास के इलाकों में छठ पर्व की तैयारियां ठप हो गई हैं। लोग एक-दूसरे को सांत्वना दे रहे हैं और परिवारों की मदद में जुटे हैं। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि हर साल छठ पर यहां पूरे उत्साह के साथ आयोजन होता है, लेकिन इस बार का पर्व दुख के साये में मनाया जाएगा।

छठ पूजा जहां आस्था और सूर्य उपासना का प्रतीक है, वहीं बेला गांव में यह पर्व अब दो मासूम जिंदगियों की याद के साथ हमेशा के लिए दर्ज हो गया है।

Subhash Shekhar

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