प्रदूषण की राजधानी बनी रांची, एक दिन में 3.5 सिगरेट पीने जितती खतरनाक हुई हवा

प्रदूषण की राजधानी बनी रांची, एक दिन में 3.5 सिगरेट पीने जितती खतरनाक हुई हवा

Ranchi | राजधानी रांची में ठंड और कुहासे के साथ वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ा है। रविवार को शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 172 दर्ज किया गया, जो स्वास्थ्य के लिहाज से ‘अनहेल्दी’ श्रेणी में आता है। विशेषज्ञों के अनुसार, रांची की हवा में एक दिन सांस लेना लगभग 3.5 सिगरेट पीने के बराबर नुकसानदेह हो गया है। यह स्थिति बच्चों, बुजुर्गों और सांस संबंधी रोगियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है।

एयर क्वालिटी एंड हेल्थ से जुड़े ताजा आंकड़ों में सामने आया है कि सर्द मौसम में प्रदूषक तत्व वातावरण में फंस रहे हैं। हवा में नमी और कुहासा बढ़ने से कण नीचे ही जमा हो रहे हैं, जिससे सांस लेना कठिन हो रहा है। दिनभर धुंध की परत छाई रहने से दृश्यता भी प्रभावित हुई।

चार इलाकों में AQI 170 के पार, PM-10 भी बढ़ा

रांची के कई हिस्सों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया।

  • ढुमसा टोली: AQI 174
  • गांधी नगर कॉलोनी: AQI 171
  • कोकर: AQI 171
  • नया टोली: AQI 171

आंकड़ों के अनुसार, PM2.5 का स्तर 86 µg/m³ और PM10 147 µg/m³ तक दर्ज किया गया। इसके साथ ही कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) 193, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) 33, सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) 6.5 और ओजोन 14 पार्ट्स प्रति बिलियन पाया गया। यह मिश्रण औसतन 3.6 सिगरेट प्रतिदिन के बराबर स्वास्थ्य जोखिम दर्शाता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों में तापमान गिरने से तापीय उलटाव की स्थिति बनती है। इससे धूल, धुआं और गैसीय प्रदूषक ऊपर उठने के बजाय जमीन के पास ही फंस जाते हैं। निर्माण गतिविधियां, वाहनों का उत्सर्जन और खुले में कचरा जलाना स्थिति को और बिगाड़ रहा है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने संवेदनशील वर्गों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी है। मास्क का उपयोग, सुबह-शाम बाहर निकलने से बचाव और घरों में वेंटिलेशन बनाए रखने पर जोर दिया गया है। प्रशासनिक स्तर पर प्रदूषण स्रोतों की निगरानी और जागरूकता अभियान तेज करने की बात कही जा रही है।

बड़े महानगरों को टक्‍कर दे रहा रांची

देश के अन्य शहरों में भी स्थिति चिंताजनक रही।

  • दिल्ली: AQI करीब 350 (बहुत खराब)
  • मुंबई: AQI 119 (मध्यम)
  • हैदराबाद: AQI 159 (खराब)
  • पुणे: AQI 146
  • बेंगलुरु: AQI 167, नमी 44%
  • चेन्नई: AQI 168, नमी 66%

तुलना से स्पष्ट है कि रांची की हवा अब कई महानगरों से कम प्रदूषित नहीं रही।

ऐसे सेहत पर असर डालती है प्रदूषित हवा

जब AQI खराब होता है, तो PM2.5 और PM10 जैसे सूक्ष्म कण फेफड़ों की गहराई तक पहुंचते हैं। ये कण रक्त प्रवाह में मिलकर हृदय, फेफड़े और मस्तिष्क पर असर डालते हैं। लगातार एक्सपोजर से फेफड़ों की क्षमता घटती है और अस्थमा, ब्रोंकाइटिस व हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है।

सुबह-शाम आंखों में जलन, खांसी और सांस फूलने की शिकायतें बढ़ी हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों और खुले में काम करने वाले श्रमिकों पर असर ज्यादा देखा जा रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, हल्की लक्षणों को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

मौसम साफ होने या हवा की गति बढ़ने तक राहत सीमित रहेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अगले कुछ दिनों में तापमान और गिरा, तो AQI और ऊपर जा सकता है। प्रशासन की ओर से ट्रैफिक मैनेजमेंट, निर्माण स्थलों पर नियंत्रण और खुले में जलाने पर सख्ती की जरूरत है।

रांची की हवा फिलहाल सुरक्षित नहीं कही जा सकती। बढ़ता AQI स्पष्ट संकेत देता है कि सतर्कता और त्वरित कदम जरूरी हैं। व्यक्तिगत सावधानियों के साथ-साथ सामूहिक प्रयास ही शहर को इस जहरीली हवा से राहत दिला सकते हैं।

Subhash Shekhar

एक अनुभवी डिजिटल पत्रकार, कंटेंट स्ट्रैटेजिस्ट और SEO-फोकस्ड न्यूज़ राइटर हैं। वे झारखंड और बिहार से जुड़े राजनीति, प्रशासन, सामाजिक मुद्दों, शिक्षा, स्वास्थ्य और करंट अफेयर्स पर तथ्यपरक और भरोसेमंद रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते हैं।

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