दिल्ली में भर्ती दिशोम गुरु शिबू सोरेन की तबीयत को लेकर झारखंड समेत पूरे देश में चिंता बनी हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के संस्थापक संरक्षक शिबू सोरेन पिछले 13 दिनों से सर गंगाराम अस्पताल, दिल्ली में इलाजरत हैं। अस्पताल सूत्रों के अनुसार उनकी हालत स्थिर है लेकिन पूरी तरह से सुधार नहीं हुआ है।
19 जून को बहू कल्पना सोरेन उन्हें रांची से दिल्ली लेकर पहुंचीं थीं। इसके बाद से ही उनका उपचार विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में चल रहा है। उनकी बिगड़ती सेहत को लेकर विदेश के डॉक्टरों से भी वीडियो कॉल के माध्यम से परामर्श लिया जा रहा है। सोमवार को डॉक्टरों की एक टीम ने गहन परीक्षण किया और जरूरी जांचें करवाईं। बताया जा रहा है कि उनकी स्थिति में पहले से थोड़ा सुधार देखा गया है।
पूरे राज्य में शांति, दुआ और श्रद्धा का माहौल
शिबू सोरेन के जल्द स्वस्थ होने की कामना पूरे झारखंड में की जा रही है। रांची के प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर में उनके नाम पर रूद्राभिषेक का आयोजन किया गया। इस विशेष पूजा कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। अबुआ अधिकार मंच के सदस्यों ने इस आयोजन की अगुवाई की।
श्रद्धालुओं ने पूरी विधिवत पूजा की और भगवान शिव से गुरुजी की सेहत के लिए प्रार्थना की। पूजा-पाठ के बाद प्रसाद वितरण भी किया गया। इस आयोजन में सुनील यादव, विश्वास उरांव, संजय लकड़ा, सुरेंद्र पासवान, गौतम सिंह, नीरज वर्मा, वेदांत कौस्तव और नीतीश सिंह समेत कई लोग उपस्थित थे।
सिर्फ मंदिर ही नहीं, मस्जिद और चर्चों में भी प्रार्थनाएं की जा रही हैं। झारखंड के कई जिलों में अलग-अलग धर्मों के लोग अपने-अपने तरीके से दिशोम गुरु की सेहत के लिए दुआ मांग रहे हैं। यह झारखंड के सामाजिक एकता की मिसाल है, जहां राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर सभी ने शिबू सोरेन के लिए एकजुटता दिखाई है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पूरा परिवार दिल्ली में मौजूद है। वे लगातार डॉक्टरों के संपर्क में हैं और हर अपडेट ले रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, किसी भी बड़े निर्णय के लिए विदेश के अनुभवी चिकित्सा विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है।
झारखंड आंदोलन के प्रमुख चेहरा रहे शिबू सोरेन के स्वास्थ्य को लेकर गहरी चिंता है। एक ओर राजनीतिक गलियारे में हलचल है, वहीं दूसरी ओर आम जनता अपनी श्रद्धा से उन्हें जीवनदान देने की प्रार्थना कर रही है।
गौरतलब है कि दिशोम गुरु झारखंड की राजनीति में एक बड़ा नाम हैं और आदिवासी समुदाय के लिए संघर्ष का प्रतीक रहे हैं। उनकी बीमारी की खबर ने पूरे राज्य को भावनात्मक रूप से झकझोर कर रख दिया है।