रांची। झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (JSSC) CGL पेपर लीक मामले में बड़ा मोड़ सामने आया है। वह अधिकारी, जिन्होंने पूरे साहस के साथ इस घोटाले को उजागर किया था और पेपर लीक के ठोस सबूत पेश किए थे — सचिवालय सेवा के शाखा पदाधिकारी संतोष कुमार मस्ताना — को आज सीआईडी (CID) ने गिरफ्तार कर लिया है। इस गिरफ्तारी ने राज्य में राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है।
सूत्रों के मुताबिक, मस्ताना की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब इस मामले की अगली सुनवाई कल झारखंड हाई कोर्ट में होनी है। इससे सरकार की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं कि आखिर अदालत से ठीक पहले इस कार्रवाई का क्या औचित्य है।
सीआईडी पर सबूत मिटाने और गवाहों को धमकाने के आरोप
मामले से जुड़े सूत्रों ने यह भी दावा किया है कि सीआईडी इस पूरे पेपर लीक प्रकरण के सबूतों को मिटाने में जुटी हुई है। कई गवाहों को कथित रूप से धमकाया गया है ताकि वे अपने बयान बदल दें। जानकारी यह भी है कि जो शिक्षक और परीक्षार्थी इस मामले को सड़क से लेकर अदालत तक न्याय के लिए लड़ रहे हैं, उन्हें लगातार सीआईडी की ओर से नोटिस भेजे जा रहे हैं।
गौरतलब है कि पहले आयोग ने दावा किया था कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई है, लेकिन FSL रिपोर्ट ने इस बात को खारिज कर दिया। रिपोर्ट में यह स्पष्ट कहा गया कि किसी भी मोबाइल या डिजिटल सबूत में किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की गई थी।
नेपाल कनेक्शन और CID की नई दलील
पेपर लीक के बाद छात्रों ने बताया था कि इस पूरे रैकेट का कनेक्शन नेपाल से जुड़ा हुआ है। बाद में स्वयं CID ने भी स्वीकार किया कि 28 लोग नेपाल गए थे, जिनमें से कई छात्रों ने परीक्षा में सफलता प्राप्त की।
हालांकि अब CID अदालत में यह तर्क दे रही है कि मोबाइल में मिले प्रश्न और उत्तर केवल “गेस क्वेश्चन” थे, जबकि सबूतों के अनुसार अधिकांश प्रश्न-पत्रों के उत्तर परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों से मेल खाते हैं। इससे जांच की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्न खड़े हो गए हैं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को निशाना बना रही सरकार?
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई है कि सरकार पेपर लीक प्रकरण के असली गुनहगारों को बचाने में जुटी है और जो लोग इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। संतोष कुमार मस्ताना की गिरफ्तारी को इसी क्रम में देखा जा रहा है।
झारखंड में विपक्षी दलों, खासकर बाबूलाल मरांडी और उनकी पार्टी ने इस पूरे घटनाक्रम पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि यह गिरफ्तारी सरकार के इशारे पर की गई है ताकि सच सामने न आ सके।
कोर्ट की अगली सुनवाई पर सबकी निगाहें
अब जब कल हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है, तब मस्ताना की गिरफ्तारी से यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस पर क्या रुख अपनाती है। न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हजारों अभ्यर्थी चाहते हैं कि इस पेपर लीक घोटाले के असली दोषियों को सजा मिले और भ्रष्टाचारियों को राजनीतिक संरक्षण मिलना बंद हो।
झारखंड का यह मामला अब सिर्फ एक पेपर लीक नहीं, बल्कि न्याय, पारदर्शिता और सिस्टम की जवाबदेही की परीक्षा बन गया है।







