Kurmi Andolan: रांची में धारा-163 लागू, रेलवे स्टेशनों के 300 मीटर दायरे में निषेधाज्ञा

Kurmi Andolan: रांची में धारा-163 लागू, रेलवे स्टेशनों के 300 मीटर दायरे में निषेधाज्ञा

Kurmi Andolan Prohibitory Order: रांची जिला प्रशासन ने कुड़मी समाज के आगामी आंदोलन को ध्यान में रखते हुए कड़े कदम उठाए हैं। 20 सितंबर 2025 को प्रस्तावित ‘रेल टेका डहर छेका’ आंदोलन से पहले प्रशासन ने मुरी, सिल्ली, खलारी और टाटीसिल्वे रेलवे स्टेशन परिसर के 300 मीटर दायरे में निषेधाज्ञा लागू कर दी है। यह आदेश शुक्रवार 19 सितंबर रात 8 बजे से रविवार 21 सितंबर सुबह 8 बजे तक प्रभावी रहेगा।

रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम

प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि कुड़मी समाज की केंद्रीय समिति और अन्य संगठनों ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर रेल परिचालन बाधित करने की योजना बनाई है। ऐसे में विधि-व्यवस्था और यातायात प्रभावित होने की संभावना को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। सदर अनुमंडल दंडाधिकारी ने बीएनएसएस की धारा-163 के तहत यह निषेधाज्ञा जारी की है।

निषेधाज्ञा में पांच या उससे अधिक व्यक्तियों का जुटना, जुलूस-प्रदर्शन करना, हथियारों और हरवे-हथियार लेकर चलना, ध्वनि विस्तारक यंत्र का प्रयोग करना पूर्णत: वर्जित होगा। हालांकि सरकारी कामकाज, न्यायालय कार्य और धार्मिक व अंत्येष्टि कार्यक्रम को इसमें छूट दी गई है।

‘रेल टेका डहर छेका’ आंदोलन की घोषणा

कुड़मी समाज ने 20 सितंबर से झारखंड, बंगाल और ओड़िशा में संयुक्त रूप से ‘रेल टेका डहर छेका’ आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है। यह आंदोलन अनिश्चितकालीन होगा, जिससे तीनों राज्यों में रेल परिचालन गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है। प्रशासन ने सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती की तैयारी कर ली है।

कुड़मी नेताओं का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा। उनका दावा है कि यह आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर रेल सेवाओं को रोकने का कदम उठाया जाएगा।

ऐतिहासिक आधार पर मांग

कुड़मी समाज के वरीय केंद्रीय उपाध्यक्ष छोटेलाल महतो ने कहा कि 1931 की जनगणना में कुड़मी समुदाय को एसटी सूची में शामिल किया गया था। लेकिन 1950 में जब नई सूची तैयार की गई तो बाकी जनजातियों के नाम तो बने रहे, मगर कुड़मी समाज का नाम हटा दिया गया। इस ऐतिहासिक अन्याय को सुधारने के लिए ही समुदाय लगातार संघर्षरत है।

उन्होंने सरकार से अपील की कि कुड़मी समाज को तत्काल एसटी का दर्जा दिया जाए, ताकि शिक्षा, नौकरी और सामाजिक-आर्थिक विकास में उन्हें समान अवसर मिल सके।

प्रशासन की चुनौती

रांची जिला प्रशासन के लिए यह आंदोलन कानून-व्यवस्था की बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। जहां एक ओर आंदोलनकारियों का दावा है कि उनका विरोध शांतिपूर्ण रहेगा, वहीं दूसरी ओर प्रशासन आशंकित है कि रेल यातायात और आम जनजीवन पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है।

अभी देखना यह होगा कि प्रशासन की ओर से उठाए गए कड़े कदम इस आंदोलन को नियंत्रित कर पाएंगे या फिर यह तीन राज्यों की रेल व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर देगा।

Subhash Shekhar

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