झारखंड में संवैधानिक संस्थाओं के रिक्त पदों पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार को 28 नवंबर तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश

Ranchi: झारखंड में लोकायुक्त, मानवाधिकार आयोग, राज्य सूचना आयोग सहित कई महत्वपूर्ण संवैधानिक पद वर्षों से खाली पड़े हैं। इन नियुक्तियों को लेकर दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त समय मांगे जाने पर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सरकार को अगली तारीख तक विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को निर्धारित की गई है।

वर्षों से खाली पड़ी महत्वपूर्ण कुर्सियाँ, कोर्ट ने जताई गंभीर चिंता

जनहित याचिका में कहा गया था कि—

  • लोकायुक्त
  • मानवाधिकार आयोग
  • राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त

जैसी संवैधानिक संस्थाओं में पिछले 3 से 5 वर्षों से पद खाली पड़े हैं। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि इन महत्वपूर्ण संस्थाओं में रिक्तियां लंबी अवधि तक रहने से जनता के अधिकारों, शिकायतों और पारदर्शिता की प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

हाईकोर्ट ने भी इन दलीलों को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से कई बार प्रगति रिपोर्ट मांगी थी। हालांकि, अब तक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है।

सरकार ने कहा– प्रक्रिया जारी है, समय दें

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि—

  • लोकायुक्त
  • मानवाधिकार आयोग
  • राज्य सूचना आयोग

में नियुक्तियों की प्रक्रिया चल रही है। सरकार ने ट्रिब्यूनल और संवैधानिक संस्थाओं में पदों की सूची का संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट तैयार करने के लिए कोर्ट से और समय देने का आग्रह किया।

कोर्ट ने आग्रह स्वीकार करते हुए 28 नवंबर तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया, साथ ही यह स्पष्ट किया कि देरी अब स्वीकार्य नहीं होगी।

सूचना आयुक्तों की नियुक्ति पर अवमानना याचिका भी लंबित

सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि राज्य में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर राजकुमार की अवमानना याचिका भी लंबित है। इसके अलावा राज्य की 12 संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष और सदस्यों के पद खाली रहने के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं को भी साथ में सुना जा रहा है।

इन संस्थानों में नियुक्ति न होने से, याचिकाकर्ताओं के अनुसार, कई मामलों और शिकायतों का निपटारा लंबित है और संवैधानिक संस्थाएं “कागजों में ही चल रही हैं।”

कोर्ट की चेतावनी– नियुक्ति प्रक्रिया में देरी बर्दाश्त नहीं

हाईकोर्ट ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं में महत्वपूर्ण पद वर्षों तक खाली रहना जनहित के विपरीत है। अदालत ने सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया कि नियुक्ति प्रक्रिया को तेज किया जाए और अगली तारीख तक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट अनिवार्य रूप से पेश की जाए।

अदालत ने संकेत दिया कि यदि अगली सुनवाई में संतोषजनक प्रगति नहीं दिखी, तो कोर्ट सख्त रुख अपना सकता है।

Subhash Shekhar

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