होटवार जेल डांस वीडियो मामला: झारखंड हाईकोर्ट ने मांगा राज्य सरकार से शपथपत्र, जेल प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल

Ranchi। होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा से जुड़े डांस वीडियो और जेल के अंदर से सोशल मीडिया के जरिए आपराधिक गतिविधियों के संचालन का मामला अब झारखंड हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस प्रकरण को अत्यंत गंभीर मानते हुए राज्य सरकार को शपथपत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मामला जेल प्रशासन की निगरानी व्यवस्था पर सीधे सवाल खड़े करता है।

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता धीरज कुमार ने पूरे घटनाक्रम को सिलसिलेवार ढंग से अदालत के समक्ष रखा। याचिका में कहा गया कि जेल के भीतर से वीडियो बनना, सोशल मीडिया तक उसका पहुंचना और कथित रूप से आपराधिक नेटवर्क का संचालन होना किसी एक चूक का नहीं, बल्कि सिस्टम फेल्योर का संकेत है।खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि यदि कैदी जेल के अंदर रहते हुए मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं, तो निगरानी तंत्र की प्रभावशीलता पर गंभीर प्रश्न उठना स्वाभाविक है।

नवंबर महीने में होटवार जेल से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें दो कैदियों को डांस करते हुए देखा गया। वीडियो सामने आने के बाद कारा महानिरीक्षक ने तत्काल संज्ञान लेते हुए सहायक कारापाल जगन्नाथ राम को निलंबित किया और विभागीय जांच के आदेश दिए।
वायरल फुटेज में जिन कैदियों की पहचान सामने आई, उनमें विधु गुप्ता और विक्की भालोटिया के नाम शामिल बताए गए। विधु गुप्ता को एसीबी ने शराब घोटाले के मामले में जुलाई माह में गिरफ्तार कर जेल भेजा था।

हाईकोर्ट की तीखी टिप्पणी, एजेंसियों पर उठे सवाल

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि जेल के भीतर से वीडियो बनना और उसका सार्वजनिक होना केवल अनुशासनहीनता नहीं, बल्कि सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मुद्दा है।
कोर्ट ने इसे “शर्मनाक और चिंताजनक” स्थिति बताते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं राज्य की एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाती हैं। खंडपीठ ने यह भी संकेत दिया कि जवाब में केवल औपचारिक रिपोर्ट स्वीकार्य नहीं होगी, बल्कि ठोस तथ्यों और सुधारात्मक कदमों का विवरण अपेक्षित है।

पहले भी विवादों में रही होटवार जेल

होटवार जेल इससे पहले भी कई बार सुर्खियों में रही है। हाई-प्रोफाइल बंदियों को विशेष सुविधाएं मिलने, जेल के अंदर से धमकी भरे कॉल और सोशल मीडिया पोस्ट सामने आने जैसे मामलों ने प्रशासन की मुश्किलें बढ़ाई हैं।
प्रिंस खान और राहुल सिंह से जुड़े कथित धमकी भरे पोस्ट और मैसेजों को लेकर भी पहले जांच के आदेश दिए जा चुके हैं। इन घटनाओं ने यह सवाल और मजबूत किया है कि क्या जेल के भीतर निगरानी और तकनीकी नियंत्रण पर्याप्त हैं।

राज्य सरकार की ओर से अभी तक इस ताजा सुनवाई पर विस्तृत प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, पहले वायरल वीडियो मामले में कारा विभाग ने कार्रवाई करते हुए निलंबन और जांच के आदेश दिए थे।हाईकोर्ट के निर्देश के बाद अब सरकार को शपथपत्र के माध्यम से यह स्पष्ट करना होगा कि जेल में मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने की क्या योजना है।

हाईकोर्ट ने मामले की अगली विस्तृत सुनवाई के लिए 6 जनवरी 2026 की तारीख तय की है। तब तक राज्य सरकार को शपथपत्र दाखिल कर अपना पक्ष स्पष्ट करना होगा।अदालत यह भी देखेगी कि जांच में किन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होती है और सुधारात्मक कदम कितने प्रभावी हैं।

Subhash Shekhar

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