संसद में हाल ही में पेश किए गए संविधान संशोधन विधेयक 2025, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक 2025 और संघ राज्य क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2025 ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने इन विधेयकों को लोकतंत्र और संविधान के लिए खतरनाक बताते हुए तीखा विरोध दर्ज किया।
क्या है संविधान संशोधन विधेयक 2025?
यह विधेयक संविधान के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों में बदलाव का प्रस्ताव रखता है। इसके अंतर्गत –
- मुख्यमंत्री और मंत्रियों की पदस्थापना और हटाए जाने की प्रक्रिया में बदलाव किया जाएगा।
- प्रशासनिक एजेंसियों को और अधिक अधिकार दिए जाएंगे।
- जम्मू-कश्मीर और संघ राज्य क्षेत्रों से संबंधित नियमों में संशोधन किया जाएगा।
विपक्ष का आरोप – लोकतंत्र पर हमला
असदुद्दीन ओवैसी का बयान
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल का जोरदार विरोध किया। उनका कहना है कि –
- यह बिल लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करता है।
- मुख्यमंत्री और मंत्री केवल “आरोप” लगने पर ही पद से हट सकते हैं।
- यह अनुच्छेद 74(1) और अनुच्छेद 21 का सीधा उल्लंघन है।
- यह देश को “पुलिस राज्य” में बदलने की दिशा में उठाया गया कदम है।
ओवैसी ने इसे “जर्मनी के गेस्टापो मॉडल” जैसा बताया और कहा कि यह विधेयक लोकतंत्र की जड़ों को खत्म कर देगा।
तिवारी और अन्य नेताओं की आपत्ति
कांग्रेस सांसदों का कहना था कि –
- भारतीय न्याय व्यवस्था का मूल सिद्धांत “जब तक दोष साबित न हो, कोई निर्दोष है” इस बिल से खत्म हो जाएगा।
- यह विधेयक जांच अधिकारी को प्रधानमंत्री से भी शक्तिशाली बना देता है।
- संसद और लोकतंत्र की बुनियाद को कमजोर किया जा रहा है।
विपक्ष का तर्क – जल्दबाजी में लाया गया बिल
केरल के सांसद एन.के. प्रेमचंदन ने सवाल उठाया कि यह विधेयक सांसदों को बिना पूरा मसौदा पढ़ने का मौका दिए जल्दबाजी में क्यों लाया गया। उन्होंने इसे विपक्ष शासित राज्यों की सरकारों को अस्थिर करने की साजिश करार दिया।
सत्ता पक्ष का जवाब
गृह मंत्री ने कहा कि –
- यह विधेयक संयुक्त समिति (Joint Committee) को सौंपा जाएगा, जहां विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों अपनी राय देंगे।
- राजनीति में नैतिकता जरूरी है और यह बिल उसी दिशा में एक कदम है।
- उन्होंने विपक्ष को याद दिलाया कि जब उन पर आरोप लगे थे, तो उन्होंने खुद पद छोड़कर लोकतांत्रिक परंपरा का सम्मान किया था।
निष्कर्ष
संविधान संशोधन विधेयक 2025 ने संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि यह लोकतंत्र और संविधान के मूल ढांचे को तोड़ने की कोशिश है, वहीं सरकार इसे नैतिक राजनीति और प्रशासनिक सुधार के लिए जरूरी बता रही है।
आने वाले समय में संयुक्त समिति की सिफारिशें तय करेंगी कि यह बिल पारित होगा या वापस ले लिया जाएगा। लेकिन इतना तय है कि इस विधेयक ने भारतीय राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
संविधान संशोधन विधेयक 2025 क्या है?
यह एक प्रस्तावित विधेयक है जो मुख्यमंत्री और मंत्रियों की पदस्थापना, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन और संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासन से जुड़े नियमों में बदलाव करने की बात करता है।
विपक्ष इस विधेयक का विरोध क्यों कर रहा है?
विपक्ष का आरोप है कि यह बिल लोकतंत्र और संविधान के मूल ढांचे को कमजोर करता है और प्रशासनिक एजेंसियों को असीमित शक्तियां देता है।
क्या यह बिल पारित हो गया है?
नहीं, फिलहाल इस बिल को संयुक्त समिति के पास भेजा गया है, जो विस्तार से विचार करने के बाद रिपोर्ट पेश करेगी।
सरकार का तर्क क्या है?
सरकार का कहना है कि यह विधेयक राजनीति में नैतिकता और प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है।








